आगरा पुलिस की ये कैसी जांच: जिसने पीड़ित को बंधक बनाकर कराई 90 दिन मजदूरी, उस एसओ को 1 दिन में दे दी क्लीन चिट

आगरा पुलिस की ये कैसी जांच: जिसने पीड़ित को बंधक बनाकर कराई 90 दिन मजदूरी, उस एसओ को 1 दिन में दे दी क्लीन चिट



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– फोटो : फाइल फोटो

विस्तार


आगरा में तीन महीने पहले शिकायत लेकर आए पीड़ित को थाना जगनेर परिसर में रखकर काम कराया। पुलिसकर्मियों ने बर्तन और कपड़े धुलवाए। 32 दिन तक अपने गांव भेजकर मजदूरी करवाई। शौचालय साफ कराने से लेकर गोबर उठवाया। विरोध पर जेल भेजने की धमकी दी और पिटाई लगाई।

पीड़ित ने पुलिस आयुक्त से शिकायत की। जिस सामान को पाने के लिए पीड़ित 90 दिन से भटक रहा था, वह एक दिन में वापस मिल गया। उससे शपथ पत्र लिया कि कोई शिकायत नहीं है। उसने कुछ लोगों के बहकावे में आकर शिकायत कर दी थी। पूरे प्रकरण में सवालों के घेरे में आई पुलिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यह था मामला

अजीजपुर, धनौली निवासी शैलेंद्र उर्फ रिंकू बुधवार को पुलिस आयुक्त के पास पहुंचा था। बताया कि वह 19 जुलाई को भी उनके पास आया था। पत्नी किसी युवक के साथ चली गई थी। जगनेर में रह रही थी। उसके पास सामान रखा हुआ है। सामान वापस दिलाने की गुहार लगाई। उसे मलपुरा एसओ के पास भेजा। मगर, मामला जगनेर थाने का था। इसलिए एसओ ने उसे थाना जगनेर के एसओ अवनीत मान के पास भेज दिया था।

यह लगे थे आरोप

-एसओ ने 20 जुलाई से 18 अगस्त तक थाना परिसर में रखा। इस दौरान परिसर में काम कराया। पुलिसकर्मी कपड़े व बर्तन धुलवाते थे।

-18 अगस्त को एक मुंशी उसे आईएसबीटी बस में बैठाकर आया। परिचालक ने बागपत में छोड़ा। उसे सिनौली गांव में एसओ के घर की देखरेख कराई गई। एसओ के परिजन गोबर उठवाते थे, शौचालय साफ करवाते थे।

-तकरीबन 32 दिन बाद मुंशी थाने लेकर आया, फिर बंधक बनाकर रखा गया और काम करवाया गया। 15 अक्तूबर को उसे छोड़ा गया।

यह उठ रहे सवाल

-पीड़ित ने 18 अक्तूबर को पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी। इसका क्या हुआ?

– आरोपों की जांच एसीपी खेरागढ़ को सौंपी गई। मगर, आरोपी की जांच में क्या निकला?

-पीडि़त ने शपथ पत्र में लिखा कि वो कुछ लोगों के कहने पर शिकायत कर आया था। वो लोग कौन हैं?

-पीडि़त को पहले थाने, फिर एसओ ने अपने गांव में रखा था? ऐसा क्यों किया गया?

– उससे मजदूरों की तरह काम कराने के बाद अब सामान क्यों दिलाया गया? पहले क्यों देरी हुई?

– पीड़ित का एक वीडियो वायरल हुआ है। वह पुलिस पर आरोप लगा रहा है। इसकी जांच क्यों नहीं हुई?

हर पीड़ित से लिखवा लेती है पुलिस

पुलिस पर वसूली का आरोप हो या फिर पिटाई की शिकायत। मामले की शिकायत के बाद जांच के आदेश किए जाते हैं। मगर, कुछ दिन बाद पीड़ित के शपथ पत्र से जांच ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। पूर्व में कई मामलों में ऐसा हो चुका है। वहीं डीसीपी पश्चिमी जोन  सोनम कुमार ने बताया कि ‘पीड़ित के बयान हुए हैं। सामान वापस दिला दिया गया है। प्रकरण में जांच की जा रही है। पीड़ित को बुलाया गया है। साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।’



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