घुंघरू तैयार करती महिलाएं
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अलीगढ़ की तालानगरी में बने घुंघरुओं की झनकार कई प्रदेशों में गूंज रही है। दो सालों से इसका उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। पशुओं के गले में बांधी जाने वाली घंटी के बाद घुंघरुओं का निर्माण हो रहा है। यहां के कारोबारियों को इसके अच्छे ऑर्डर भी मिल रहे हैं।
ताला और तालीम के लिए विख्यात अलीगढ़ अब पीतल के घुंघरू के लिए भी याद किया जाएगा। चीनी प्रतिस्पर्धा और महंगाई के दौर से गुजर रहे कारोबार को संजीवनी देने के लिए जिले के उद्यमी लगातार प्रयासरत हैं। कारोबार की बदलती आबोहवा में कारोबारियों ने अपने को ढालना सीख लिया है। जिसके कारण कारोबारी नई तकनीक के सहारे नए-नए आयाम हासिल कर रहे हैं। तालानगरी स्थित तीन झंडे वाली फैक्ट्री में इन दिनों पीतल के घुंघरू के आर्डर की भरमार है। कारोबारी चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि पीतल के घुंघरू और घंटी पहले केवल बिसावर (जलेसर) में बनते थे। कोरोना काल में जब सभी कारोबारी मंदी झेल रहे थे। उस वक्त उन्होंने पीतल के घुंघरू बनाना शुरू किया। अलीगढ़ के घुंघरुओं में बिसावर बने घुंघरुओं के मुकाबले ज्यादा खनक है। इसकी फिनशिंग और लुक भी बेहतर है।
कांवड़ सजाने में काम आते हैं घुंघरू
पीतल के घुंघरू कांवड़ को सजाने में काम आते हैं। कांवड़िये इन्हें अपनी कांवड़ पर सजाते हैं। कांवड़ यात्रा में कांवड़िये पैरों में घुंघरू बांध भोले के जयकारे लगाते हुए मस्ती भरी चाल चलते हैं। धार्मिक कार्यों के अलावा नृत्य के दौरान इनका प्रयोग होता है। श्रावण मास में इनकी मांग बढ़ गई है। देश के हर कोने से इनके आर्डर आ रहे हैं।
ऐसे होते हैं तैयार
घुंघरू बनाने के लिए सबसे पहले पीतल गलाई जाती है। गलाई के बाद ढलाई, घिसाई, पॉलिश, पैकिंग होती हैं। यह दो तरीके से इनको बनाया जाता है। वर्तमान में हाथ की कारीगरी के अलावा यह मशीन से भी बनाए जा रहे हैं। 20 एमएम से लेकर साठ एमएम साइज तक घुंघरू तैयार हो रहे हैं। हस्तनिर्मित घुंघरू ढलाई कर बनाया जाता है। जिस पर कोई जीएसटी नहीं है। वहीं मशीन से तैयार घुंघरू पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगती है। उद्यमी कहते हैं कि कृषि उद्योग की तर्ज पर ही हार्डवेयर उद्योग के लिए भी सरकार को छूट देनी चाहिए। सस्ती बिजली और सस्ते लोन का प्रावधान हो।
जहां शिवालय, वहां मांग ज्यादा
उद्यमी चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि देश भर में जहां भी शिवालय हैं। घुंघरू की मांग वहां ज्यादा है। हरिद्वार, बंगाल, उज्जैन, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश में इनकी ज्यादा मांग है।