सांकेतिक तस्वीर
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अमेरिका की सु्प्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए विश्वविद्यालय में नस्ल-जातीयता के आधार पर एडमिशन की प्रथा पर रोक लगा दी। वहीं इस पर राष्ट्रपति बाइडन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि वह विश्वविद्यालय प्रवेश निर्णयों में नस्ल और जातीयता के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दृढ़ता से असहमत हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला दशकों की मिसाल से दूर चला गया।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने अपने फैसले में कहा कि नस्ल-आधारित प्रवेश कार्यक्रमों की सख्त जांच होनी चाहिए, नस्ल को कभी भी रूढ़िवादिता या नकारात्मक के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए और यह किसी बिंदु पर समाप्त होना चाहिए। सुनवाई हार्वर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (यूएनसी) जैसे प्रतिष्ठित अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रवेश से संबंधित थी।
मुख्य जज ने फैसले में कहा कि इस तरह की कोई प्रथा हमेशा के लिए नहीं रह सकती और इस तरह की प्रथा दूसरों के खिलाफ असंवैधानिक भेदभाव है। छात्र के साथ एक व्यक्ति के रूप में उसके अनुभवों के आधार पर व्यवहार किया जाना चाहिए, नस्ल के आधार पर नहीं। उन्होंने कहा कि हमारा संवैधानिक इतिहास इस विकल्प को बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
वहीं न्यायमूर्ति सोनिया सोतोमयोर ने अल्पसंख्यक निर्णय के लिए अपने नोट में लिखा कि यह फैसला दशकों की मिसाल और महत्वपूर्ण प्रगति को पीछे ले जाता है। यह मानता है कि ऐसे महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए कॉलेज प्रवेश में दौड़ का अब सीमित तरीके से उपयोग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने लिखा कि जाति को नजरअंदाज करने से समाज में समानता नहीं आएगी।
राष्ट्रपति बाइडन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई
वहीं, नस्ल-आधारित प्रवेश पर रोक लगाने के अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राष्ट्रपति जो बाइडन असहमत दिखे। उन्होंने कहा कि अदालत ने कॉलेज प्रवेश में सकारात्मक कार्रवाई को समाप्त कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह न्यायालय के फैसले से पूरी तरह असहमत हैं। बाइडन ने कहा कि आज का निर्णय दशकों की महत्वपूर्ण प्रगति को पीछे ले जाता है। उन्होंने आगे कहा, मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अमेरिका का वादा हर किसी के सफल होने के लिए काफी बड़ा है और अमेरिकियों की हर पीढ़ी के लिए, जो लोग पीछे रह गए हैं उन्हें शामिल करने के लिए अवसर के दरवाजे थोड़े और व्यापक खोलकर हमें फायदा हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उनका मानना है कि जब कॉलेज नस्लीय रूप से विविध होते हैं तो वे अधिक मजबूत होते हैं। उन्होंने कहा, हमारा देश मजबूत है क्योंकि हम इस देश में सभी प्रतिभाओं की कद्र कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं यह भी मानता हूं कि प्रतिभा, रचनात्मकता और कड़ी मेहनत इस देश में हर जगह है, लेकिन अवसर समान नहीं हैं।