Aligarh News: तीर्थराज और तालानगरी, खाली हो रही दोनों की गगरी, अलीगढ़वासी खूब खींच रहे धरती की कोख से जल

Aligarh News: तीर्थराज और तालानगरी, खाली हो रही दोनों की गगरी, अलीगढ़वासी खूब खींच रहे धरती की कोख से जल



भूगर्भ जल दोहन
– फोटो : अमर उजाला

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तालीम और ताला नगरी कहे जाने वाले अलीगढ़ के बाशिंदे सबसे ज्यादा धरती की कोख से पानी खींच रहे हैं। यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा भूजल निकास की दर 411 प्रतिशत से भी ज्यादा है। दूसरी तरफ संगम तट पर बसे तीर्थराज प्रयागराज में हैरतअंगेज ढंग से प्रदेश में सबसे ज्यादा तेजी से भूजल स्तर गिरता जा रहा है। भूगर्भ जल विभाग ने इन आंकड़ों को साझा करते हुए 10-10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले ऐसे 10-10 शहरों की कार्ययोजना तैयार करने की बात कही है। कहा है कि इस बारिश में यहां भूगर्भ जल को ज्यादा से ज्यादा संचित करें ताकि भूजल स्तर बढ़ सके।

भूगर्भ जल विभाग ने प्रदेश के ऐसे 10 शहरी क्षेत्रों को चयनित किया गया, जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। इन शहरों में सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इन शहरों में भूगर्भ जल निकास की दर और कम होते जा रहे भूजल स्तर पर फोकस किया गया है। सर्वे में यह स्पष्ट है कि अलीगढ़ में सबसे ज्यादा भूजल निकास हो रहा है। मानक कहता है जितना प्रतिवर्ष बारिश में जल संचय होता है उससे ज्यादा निकासी न हो पर उससे 411 प्रतिशत से ज्यादा अलीगढ़ में भूजल निकास हो रहा है। इनमें कानपुर में सबसे कम भूजल निकासी की जा रही है। यहां यह दर मात्र 94.49 प्रतिशत है। दस शहरों की इन सूची में केवल कानपुर ही क्रिटिकल श्रेणी में है। बाकी सभी शहर अतिदोहित श्रेणी में हैं। उधर प्रयागराज में 285 सेमी  प्रतिवर्ष की दर से पानी का स्तर नीचे जा रहा है। यह स्थित वाकई में बेहद गंभीर है।

जनता और हाकिम दोनों ही जिम्मेदार

अलीगढ़ को नगर निगम बने 25 साल हो गए हैं। पहली बार जब अलीगढ़ नगर निगम बना तो वहां 50 वार्ड थे। आज वह 90 हो गए हैं। 39 वार्ड ऐसे हैं जिनकी सरकारी स्तर पर जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं थी। अब यहां अमृत योजना में काम हो रहा है जिसका लाभ अगले साल तक लोगों को मिलेगा।लोगों ने अपने नल और सबमर्सिबल लगाकर जलापूर्ति की। इस शहर से सटी कोई कोई नदी या नहर भी नहीं है। तालाब, पोखर सब पर कब्जे हो गए। सब खत्म हो गए। शहर में एक माइनर होता था जो सालों पहले नाले में तब्दील हो गया। शहर में हार्डवेयर पॉलिस का काम होता है जिसमें पानी की काफी आवश्यकता होती है। इसके अलावा शहर में आधा दर्जन से ज्यादा मीट फैक्टरियां हैं। उनमें भी पानी को बेहद इस्तेमाल होता है। उधर ऊंचाई पर बसा होने के कारण इस शहर में जल संचय कम पाता है। प्रयागराज में भी यही हाल है। यहां लगातार भूजल स्तर गिर रहा है।  बारिश के पानी का संचय न होने और निकासी के कारण यहां भू जल स्तर गिरने की दर सबसे ज्यादा है। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण जमकर जमीन से पानी खींचा जा रहा है। 



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