छह जुलाई को होगी ‘राजस्थान रणनीति बैठक’
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी आज यानी छह जुलाई को राजस्थान मामलों को लेकर एक अहम रणनीति बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक में गहलोत-पायलट विवाद का समाधान निकलने की उम्मीद है। इस सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पूरी एआईसीसी टीम रणनीति बैठक में बुलाया है। इसके अलावा बैठक में राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं को भी बुलाया गया है। राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने बताया, बैठक में राहुल गांधी भी शामिल होंगे।
बता दें, राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए इस साल के अंत में चुनाव होंगे। वहीं कांग्रेस को अपनी सामाजिक कल्याण योजनाओं के आधार पर सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद है। लेकिन सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सचिन पायलट के बीच पुराना सत्ता संघर्ष एआईसीसी प्रबंधकों के बीच चिंता कारण रहा है। हालांकि, पिछले साल आलाकमान द्वारा गहलोत और पायलट के बीच शांति स्थापित करने के कई प्रयास किए गए, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि पार्टी बीजेपी को दूर रखने में सक्षम है। लेकिन मुद्दा फिर से उभर रहा है।
बैठक तीन जुलाई को होनी थी…
राजस्थान रणनीति बैठक पहले तीन जुलाई को होनी थी, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पैर में चोट लगने के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। पार्टी सूत्रों ने कहा, चूंकि मुख्यमंत्री व्हील चेयर पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि वह छह जुलाई को रणनीति बैठक में भाग लेंगे या इसमें ऑनलाइन शामिल होंगे। राजस्थान को लेकर बैठक होने से पार्टी प्रबंधकों में उम्मीदें जगी हैं, क्योंकि राहुल और खरगे ने एक अन्य चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह के पुराने सत्ता संघर्ष को सुलझा लिया है। यहां वरिष्छ मंत्री टीएस सिंह देव खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। छत्तीसगढ़ पर रणनीति सत्र समाप्त होने के बाद कुछ घंटे बाद राहुल और खरगे ने सिंह देव को उप मुख्यमंत्री बनाने का रास्ता साफ कर दिया था। इस कदम का राज्य इकाई में स्वागत किया गया।
एआईसीसी के फैसले का स्वागत…
इस संबंध में एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव को एक टीम के रूप में पेश करने का विचार था। वहीं, पायलट ने अपनी ओर से एआईसीसी के फैसले का स्वागत किया और सिंह देव को उनकी पदोन्नति पर बधाई दी थी। पायलट उपमुख्यमंत्री और राज्य इकाई के प्रमुख दोनों रह चुके हैं और उन्हें फिर से राज्य इकाई का प्रमुख बनाया जा सकता है, जिससे उन्हें संगठनात्मक मामलों और टिकट वितरण में अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।
मौजूदा राज्य इकाई प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा, सीएम गहलोत के करीबी सहयोगी हैं। वैकल्पिक रूप से गहलोत और पायलट खेमों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए एक नए व्यक्ति को नया राज्य प्रमुख नामित किया जा सकता है। क्योंकि कांग्रेस गहलोत या पायलट को खोना नहीं चाहती है।
राहुल ने चार घंटे सुनी थी गहलोत-पायलट की बातें…
29 मई को राहुल गांधी ने करीब चार घंटे तक गहलोत और पायलट की बातें सुनी। बाद में, गहलोत और पायलट के साथ एआईसीसी महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने कहा, पार्टी राजस्थान चुनाव एकजुट होकर लड़ेगी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, आलाकमान ने पायलट को उनकी प्रमुख मांगों जैसे कि बीजेपी की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ कार्रवाई करने और परीक्षा पेपर लीक की जांच करने का आश्वासन दिया था। तब से गहलोत ने कोई संकेत नहीं दिखाया है कि वह राजे के खिलाफ जांच शुरू कर सकते हैं। लेकिन परीक्षा पेपर लीक में शामिल लोगों के लिए कड़ी सजा की घोषणा की है।
ऐसे में अच्छी बात यह है कि पायलट शांत रहे और स्थिति को खराब नहीं किया। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि छह जुलाई की बैठक के बाद कोई समाधान निकलेगा। एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा, यदि हम एकजुट टीम के रूप में चुनाव में जाते हैं तो पार्टी के पास सत्ता बरकरार रखने का उचित मौका है। हालांकि, एआईसीसी प्रभारी रंधावा ने हाल ही में पायलट के बारे में सवाल किए जाने पर संकेत दिया था कि कभी-कभी नेताओं को पार्टी के लिए बलिदान देना पड़ता है।