चंडीगढ़ में अकाली दल की बैठक।
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शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने भाजपा के साथ गठबंधन की खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसी चर्चा का कोई आधार नहीं है और पार्टी का बसपा के साथ गठबंधन बरकरार है। अन्य किसी भी दल के साथ गठबंधन को लेकर न तो कोई विचार हो रहा है और न ही ऐसी कोई तैयारी चल रही है।
शिअद मुख्यालय में गुरुवार को पार्टी के जिला प्रधानों और विधानसभा हलका इंचार्जों की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि गठबंधन को लेकर भाजपा से कोई बात नहीं हुई है और न ही भाजपा ने ही कोई बात कही है। यह पूछे जाने पर कि 18 जुलाई को पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल दिल्ली में होंगे और भाजपा अध्यक्ष से मिलेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि सुखबीर दिल्ली में होंगे लेकिन भाजपा अध्यक्ष से मिलने का कोई एजेंडा नहीं है।
शिअद का बसपा से गठबंधन है और रहेगा। यह पूछे जाने पर कि बसपा यूसीसी के मुद्दे पर शिअद से अलग चल रही है, डॉ. चीमा ने कहा कि पार्टियां अलग-अलग विचारधारा रखती हैं लेकिन गठबंधन पार्टियों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति के तहत होता है। कई मामलों में बसपा और शिअद अलग-अलग विचार रख सकते हैं।
डॉ. चीमा ने बताया कि जिला प्रधानों और विधानसभा हलका इंचार्जों के साथ बैठक में आगामी लोकसभा और निगम चुनावों को लेकर चर्चा की गई। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन के जरिए सिखों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप, सिखों की दाढ़ी की मुख्यमंत्री द्वारा बेअदबी, अध्यापकों, मुलाजिमों पर पुलिस लाठीचार्ज जैसे मुद्दों पर विमर्श के बाद सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए गए। पार्टी ने समान नागरिक संहिता का मामला लॉ कमीशन के समक्ष ले जाने के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो केंद्र के फैसले का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार लॉ कमीशन को भेजेगी।
शिअद की मीडिया को चेतावनी, प्रस्ताव पारित
गुरुवार को जिला प्रधानों की बैठक के दौरान ही शिअद ने न्यूज चैनलों और अखबारों को भी चेतावनी दी है। पार्टी ने राज्य की आप सरकार द्वारा मीडिया के धमकाने की निंदा करते हुए कहा कि कुछ मीडिया घरानों ने करोड़ों रुपये के विज्ञापनों के बदले स्वेच्छा से खुद को आप सरकार के हाथों बेच दिया है। एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि ‘ऐसे मीडिया हाउस पत्रकारिता के पवित्र पेशे के साथ साथ-साथ पंजाब और पंजाबियों का भी अपमान कर रहे हैं।’ प्रस्ताव में आगे कहा गया- ‘बहुत हो गया, चैनल और समाचार पत्र जो भगवंत मान के प्रचार का उपकरण बन चुके हैं, उन्हे अपने तौर-तरीकों में सुधार करना चाहिए और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पत्रकारिता करनी चाहिए अन्यथा अकाली दल उनका बहिष्कार करने के लिए बाध्य हो जाएगा।’