गौरी केदारेश्वर
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शिव की नगरी काशी का कण-कण शिवमय है। तीन खंडों में बंटी काशी के केदारखंड में बाबा केदारनाथ गौरी केदारेश्वर स्वरूप में विराजते हैं। काशी खंड के अनुसार भगवान शिव स्वयं यहां पर भोग ग्रहण करने के लिए आते हैं। दो भागों में बंटा यह शिवलिंग हरिहरात्मक और शिवशक्त्यात्मक स्वरूप में भक्तों को आशीष देता है।
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केदारघाट पर विराजमान गौरी केदारेश्वर मंदिर के शिवलिंग का स्वरूप ही एकदम अनोखा है। यह शिवलिंग दो भागों में बंटा है। मान्यता है कि एक भाग में भगवान शिव माता पार्वती के साथ वास करते हैं। दूसरे भाग में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ विराजते हैं। इनके दर्शन से भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा के दर्शन व कृपा की प्राप्ति श्रद्धालुओं को होती है। स्वयंभू शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और गंगाजल के साथ ही भोग में खिचड़ी चढ़ाई जाती है। यह मंदिर श्री काशी विश्वनाथ से भी प्राचीन है। रानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर की व्यवस्था को सुधारा।