Sawan Somwar 2023 Live: सावन का पहला सोमवार आज, जानिए पूजा विधि और शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं भस्म

Sawan Somwar 2023 Live: सावन का पहला सोमवार आज, जानिए पूजा विधि और शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं भस्म


10:05 AM, 10-Jul-2023

सावन महीने के प्रमुख व्रत-त्योहार

13 जुलाई को कामिका एकादशी, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 17 जुलाई को श्रावण माह की अमावस्या, 19 अगस्त को हरियाली तीज, 21 अगस्त नाग पंचमी, 30 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाएगा।

 

09:47 AM, 10-Jul-2023

शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये चीजें


sawan 2023
– फोटो : अमर उजाला

शिवपुराण के अनुसार कभी भी भगवान शिव को ये चीजें नहीं चढ़ाना चाहिए।

– केतकी का फूल

– तुलसी दल

– हल्दी

– शंख से जल

– कुमकुम

– टूटे हुए चावल

09:42 AM, 10-Jul-2023

सावन सोमवार पर शिव मंत्र का जाप करना लाभकारी

– ऊं नम: शिवाय:

– ऊं शंकराय नम:

– ऊं महेश्वराय  नम:

– ऊं  रुद्राय नम:

महामृत्युंजय मंत्र

 “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

09:34 AM, 10-Jul-2023

सावन सोमवार 2023 का पूजा शुभ मुहूर्त

आज सावन के पहले सोमवार पर बहुत ही अच्छा शुभ योग बना हुआ है। आज रेवती नक्षत्र और सुकर्मा योग में शिव आराधना की जाएगी। वहीं आज के अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है। वहीं अगर आप सावन के पहले सोमवार में प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने चाह रहे हैं तो शाम के पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। 

 

09:15 AM, 10-Jul-2023

मकर, कुंभ और मीन राशि वाले ऐसे करें शिव आराधना

मकर-  आज सावन सोमवार पर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें।

 

कुंभ- इस राशि वालों के लिए तिल के तेल से भगवान शिव का अभिषेक शुभ फलदायी साबित होगा।

मीन- दूध में केसर मिलाकर भगवान का अभिषेक करें उसके बाद पीले चंदन का तिलक लगाकर पीले पुष्प और फल अर्पित करें।

09:09 AM, 10-Jul-2023

तुला, वृश्चिक और धनु राशि के लोग शिवजी को अर्पित करें ये चीजें

तुला- इस राशि के जातक दही, सुगंधित इत्र और गन्ने के रस से शिवलिंग को स्नान कराएंगे तो उनकी कामना भोलेनाथ शीघ्र पूरी करेंगे।

वृश्चिक- इस राशि वाले पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक करें। 

धनु- गाय के दूध में केसर और गुड़ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। अष्टगंध चन्दन लगाकर पीले पुष्प अर्पित करें।  

 

09:04 AM, 10-Jul-2023

कर्क, सिंह और कन्या राशि के लोग शिवजी को ये चीजें चढ़ाएं

कर्क- इस दिन भगवान शिव को दूध,दही,घी,गंगाजल और मिश्री से अभिषेक करें।शिव मंदिर में सफ़ेद चीजों का दान करें।

सिंह- सिंह राशि वालों को जल में गुड़ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना शुभ रहेगा। भोलेनाथ का शुद्ध देसी घी से स्न्नान कराना भी फलदाई है।

कन्या- इस राशि वालों को शुभ फलों की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। दूध,शहद,बेलपत्र,मदार के पुष्प,धतूरा और भांग अर्पित करना भी शुभ रहेगा।  

 

08:51 AM, 10-Jul-2023

मेष, वृषभ और मिथुन राशि वाले आज सावन सोमवार को ऐसे करें पूजा

मेष- जल में गुड़ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। बेलपत्र पर सफ़ेद चंदन से राम नाम लिखकर शिवलिंग पर अर्पित कर दें।

वृष- शिवलिंग पर दूध-दही से अभिषेक और हरश्रृंगार के फूलों की माला चढ़ाकर सफ़ेद चंदन से त्रिपुण्ड लगाएं।

मिथुन- इस राशि वाले गन्ने के रस से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे तो विशेष लाभ मिलेगा। इसके अलावा भगवान शिव का शहद से रुद्राभिषेक करें।

08:31 AM, 10-Jul-2023

शिवजी को क्यों चढ़ाया जाता है भस्म

सभी देवी-देवताओं में शिव जल्द प्रसन्न होने वाले देवता होते हैं। अगर सच्चे मन से इन्हें मात्र एक लोटा जल अर्पित कर दें तो यह भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। शिवजी का पूजा में भस्म एक बहुत ही जरूरी पूजा सामग्री मानी जाती है। शिवपुराण के अनुसार बिना भस्म चढ़ाएं शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। शिवजी को भस्म चढ़ाने के पीछे पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने अपने राजमहल में एक यज्ञ का आयोजन किया था जहां पर उन्होंने देवी सती के सामने उनके पतिदेव भोलेनाथ का अपमान किया था। शिवजी के अपमान को सुनकर देवी सती ने हवन कुंड में जलकर अपने प्राण त्याग दिए थे। जब यह बात शिव जी को मालूम हुई तब क्रोधित होकर उन्होंने सती की चिता की भस्म को अपने पूरे शरीर में लपेट कर तांडव किया था। तभी से शिव जी को भस्म लगाने की परंपरा शुरू हुई। 

08:19 AM, 10-Jul-2023

शिवलिंग पर क्यों करते हैं जलाभिषेक

आज सावन का पहला सोमवार है और शिव मंदिरों में सुबह से ही भारी भीड़ है। शिवलिंग पर शिवभक्त जलाभिषेक करते हुए शिव की कृपा की कामना करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों किया जाता है। दरअसल सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था जिसमें विष का घड़ा निकला था और इस विष के घड़े को न ही देवता लेना चाह रहे थे और न ही दानव। ऐसे में भगवान शिव ने इस विष का पान करके उसे अपने गले में धारण करके सृष्टि को बचाया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर का ताप बहुत ज्यादा हो गया था तब शिवजी के शरीर के ताप को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन पर जल चढ़ाया था। इस कारण से शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा है। 

07:59 AM, 10-Jul-2023

Shiv Aarti: सावन में पूजा- उपासना करते समय शिवजी की आरती जरूर करें

शिवजी की आरती Shiv Aarti In Hindi

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन

वृषवाहन साजे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।

शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।

ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।

07:53 AM, 10-Jul-2023

शिवजी को कैसे अर्पित करना चाहिए बेलपत्र


Sawan Month and Belpatra
– फोटो : amar ujala

  • भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
  • बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं एवं मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवजी को अर्पित करें।
  • शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें,बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
  • बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ती है। कटी-फटी पत्तियां कभी न चढ़ाएं।
  • कुछ तिथियों को बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है। जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है।
  • बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।

07:49 AM, 10-Jul-2023

सावन में क्यों होती है शिवजी की विशेष पूजा-उपासना


sawan 2023
– फोटो : अमर उजाला

प्रचलित मत के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है क्योंकि इसी माह में भगवान शिव ने मां पार्वती की अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसके अलावा भगवान विष्णु के चार महीने की योग निद्रा में होने की वजह से समस्त सृष्टि का भार और संचालन भगवान शिव के कंधे पर होता है इसलिए सावन का विशेष महत्व होता है और शिवजी की उपासना की जाती है। वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार मरकंडू मुनि के पुत्र मारकण्डेय ने दीर्धायु की कामना के लिए श्रावण माह में शिवजी की कठिन तपस्या करके उनको प्रसन्न किया था और अमरता को प्राप्त हुए थे। इसी कारण सावन के महीने में लंबी आयु पाने के लिए, बीमारियों से मुक्ति के लिए और अकाल मृत्यु से बचने के लिए सावन में शिवजी की विशेष पूजा उपासना की जाती है। 

07:39 AM, 10-Jul-2023

शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं बेलपत्र

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करना बहुत ही शुभ फलकारक होता है। दरअसल बेलपत्र स्वयं शिवजी के त्रिनेत्र का ही स्वरूप है क्योंकि भोलेभंडारी ने स्वयं ही कहा कि मेरे बाएं नेत्र में चंद्रमा, दाएं नेत्र में सूर्य और बीच में अग्नि का वास होता है। इस तरह से देख जाए तो शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी के साथ-साथ सूर्य, चंद्रमा और अग्नि तीनों की एक साथ पूजा होती है। इसके अलावा एक मत यह भी है कि बिल्वपत्र की तीन पत्तियों को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा कई लोग इसे त्रिशूल और भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक भी मानते हैं। 

07:29 AM, 10-Jul-2023

इस वर्ष सावन में 8 सोमवार और 4 प्रदोष व्रत

सावन भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का महीना महीना होता है। इस बार सावन का महीना 58 दिनों तक रहेगा। ऐसे में 8 सावन सोमवार और 4 प्रदोष व्रत के साथ सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। सावन के आखिरी सोमवार व्रत और प्रदोष का दुर्लभ संयोग भी बनेगा।



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