उधर, ताजमहल के रिवर साइड गार्डन में पानी भरा है। खान ए आलम स्मारक में भी जलभराव है। हालांकि ताजमहल में बाढ़ के पानी से किसी तरह का नुकसान नहीं है। एएसआई आगरा सर्किल अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि नुकसान का विस्तृत आकलन करने के लिए ड्रोन से सर्वे कराया है। एत्माउद्दौला सब सर्किल के 6-7 स्मारकों में बाढ़ से नुकसान हुआ है। बगीचे खराब हो गए हैं। पानी उतरने के बाद स्थिति अधिक स्पष्ट हो सकेगी।
कोठरियों में भरी सिल्ट
एत्माउद्दौला में ताजमहल की तर्ज पर नदी किनारे 22 कोठरियां बनी हैं। जो बंद रहती हैं। संरक्षण सहायक रवि प्रताप के अनुसार कोठरियां पानी में आधी डूब गई हैं। नदी में बह कर आई सिल्ट जमा हो गई है। जलस्तर बढ़ता रहा तो एत्माउद्दौला को भी पर्यटकों के लिए बंद किया जा सकता है। हालांकि मंगलवार शाम तक स्मारक के अंदर बगीचों में पानी नहीं भरा था। उधर, बाढ़ से आई सीलन को स्मारक के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है। जिन स्मारकों में लकड़ी के दरवाजे लगे हैं सीलन से खराब हो सकते हैं।
पानी उतरने का इंतजार
संरक्षित स्मारकों में पानी भरने के कारण एएसआई ने मंगलवार को ड्रोन से सर्वे कराया है। प्रारंभिक सर्वे में 6-7 स्मारक प्रभावित मिले हैं। विस्तृत सर्वे के लिए एएसआई को जलस्तर कम होने का इंतजार है। यमुना का पानी उतरने के बाद एएसआई नुकसान का वास्तविक आकलन करेगा। ताजमहल में पर्यटकों की आवाजाही पर रोक नहीं हैं।
कुओं पर रखी है ताज की नींव
ताजमहल की संरचना यमुना को ध्यान में रखते हुए की गई थी। इसकी नींव कुओं के ऊपर रखी है। जब ताजमहल तामीर हुआ था तब यमुना स्मारक से सट कर बहती होगी। वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी का कहना है कि यमुना का जलस्तर बढ़ने से ताजमहल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता। कुएंदार चिनाई होने के कारण सीलन की समस्या नहीं। उन्होंने बताया कि रिवर साइड में जिस बगीचे में पानी भरा है वह बाद में बनाया गया था।