डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन।
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तमिलनाडु सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जानकारी के मुताबिक, तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को सीबीआई को अब तक दी जा रही सामान्य सहमति वापस ले ली है। अब सीबीआई को राज्य में जांच से पहले तमिलनाडु सरकार की इजाजत लेनी होगी। इससे पहले पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, मिजोरम, पंजाब और तेलंगाना में भी यह लागू है।
आदेश में क्या कहा गया?
तमिलनाडु गृह विभाग द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम,1946 (1946 का केंद्रीय अधिनियम 25) के एक विशेष प्रावधान के अनुसार सीबीआई को जांच करने के लिए जाने से पहले संबद्ध राज्य सरकार की पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है। आदेश में कहा गया कि तमिलनाडु सरकार ने उक्त नियम के तहत 1989 और 1992 में कुछ तरह के मामलों में दी गई सहमति वापस लेने का आज आदेश जारी किया है। इस तरह सीबीआई को राज्य में जांच करने के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी।
मंत्री की गिरफ्तारी के बाद उठाया कदम
माना जा रहा है कि तमिलनाडु के बिजली और आबकारी मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है। हालांकि, राज्य सरकार का फैसला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पर लागू नहीं होता। सेंथिल बालाजी को ईडी ने परिवहन विभाग में नौकरियों के बदले नकदी घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया है।
सीएम स्टालिन ने ईडी पर भी उठाए थे सवाल
मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस मामले में कहा था कि जब बालाजी ने जांच में पूरी तरह सहयोग कर रहे थे, तो लंबी पूछताछ की क्या जरूरत थी। क्या ईडी की इस तरह की कार्रवाई उचित है। स्टालिन नीत सरकार में केंद्रीय एजेंसी की इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले बालाजी पहले मंत्री हैं। बालाजी 2014-15 में अपराध के समय अन्नाद्रमुक में शामिल थे और उस समय परिवहन मंत्री थे। गिरफ्तारी के बाद बालाजी को 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।