द हंट फॉर वीरप्पन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Movie Review
द हंट फॉर वीरप्पन
कलाकार
मुथुलक्ष्मी
,
के विजय कुमार
,
टाइगर अशोक कुमार
और
सुनाद आदि
लेखक
फूरेस्ट बोरी
,
अपूर्वा बख्शी
,
किम्बरले हैसेट
और
सेल्वमणि सेल्वराज
निर्देशक
सेल्वमणि सेल्वराज
निर्माता
अपूर्वा बख्शी
और
मोनिषा त्यागराजन
ओटीटी
नेटफ्लिक्स
जिन जंगलों मे सूरज की किरणों को भी धरती तक पहुंचने में मशक्कत करनी होती हो। वहां पहुंचना किसी इंसान के लिए कितना मुश्किल होता होगा? ऐसे ही माहौल में एक दिन कंधे पर लाठी की तरह एक बंदूक रखे लंबी लंबी मूंछो वाले 39 साल के एक दुर्दांत अपराधी का दिल गांव की एक 15 साल की किशोरी पर आ जाता है। वह पूछता है, मुझसे शादी करोगी। लड़की सहम सी जाती है। वह फिर कहता है, ना कह दोगी तो अपने दिल को पत्थर कर लूंगा और फिर किसी दूसरी लड़की से शादी की बात भी नहीं सोचूंगा। ये लड़की है अपने इलाके की अनिंद्य सुंदरी मुथुलक्ष्मी और मूंछों वाला अपराधी, कूसे मनिस्वामी वीरप्पन उर्फ वीरप्पन जिसने पहले हाथियों को अपना निशाना बनाया, फिर चंदन के पेड़ों को, फिर कन्नड़ सिनेमा के सुपरस्टार राजकुमार को और फिर तमिलनाडु व कर्नाटक की तत्कालीन सरकारों को। वह मरना नहीं चाहता था लेकिन 18 अक्तूबर 2004 को पुलिस ने एलान किया कि वीरप्पन एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया…