मृतक अभिषेक
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दर्द से कराहते घायल और हर तरफ मची चीख पुकार मची थी। एक चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट और एक वार्ड परिचारक, हर कोई घायल पहले उपचार देने की गुहार लगा रहा, किसका उपचार पहले करे यह चिकित्सक के सामने भी एक सवाल था। एक-एक बेड पर दो-दो को लेटाकर उपचार दिया गया तो कुछ फर्श पर पड़े कराह रहे थे। इस आपात स्थिति के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तैयार नहीं था।
शुक्रवार की देर रात हुए भीषण सड़क हादसे ने स्वास्थ्य विभाग के इंतजाम और दावों की कलई खोल कर रख दी। सभी घायल अपना अपना उपचार कराने के लिए गुहार लगाते रहे, लेकिन घायलों को सही तरीके से उपचार मुहैया नहीं हो सका। स्टाफ तो कम था ही, दवा भी पर्याप्त नहीं थी, किसी को दवा मिली, किसी को नहीं।
सीएचसी पर स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल देख एसडीएम संजय सिंह व सीओ गोपाल सिंह का पारा भी चढ़ गया। सीएचसी प्रभारी मौजूद नहीं थे। उनसे एसडीएम बात की और अतिरिक्त स्टाफ उपलब्ध कराने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया। कम स्टाफ होने की वजह से देरी में उपचार मिल जा रहा था। परिजन वहां के स्टाफ से रो-रोकर, हाथ जोड़कर इलाज के लिए विनती कर रहहे थे।
नहीं मिला इलाज, तड़प-तड़पकर दम तोड़ गया अभिषेक
हादसे के बाद स्वास्थ्य विभाग के सारे इंतजामात धरे रह गए। घायल अभिषेक को उपचार के लिए ग्रामीण सीएचसी सादाबाद लेकर पहुंचे, वह सीएचसी पर दर्द से तड़पता रहा और इलाज के लिए चीखता रहा। लेकिन उसकी चीख स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था की नींद नहीं तोड़ पाई और धीरे-धीरे शांत होती चली गई, वह बेहोश हो गया और लोगों के देखते-देखते उसने दम तोड़ दिया।