केंद्रीय बलों की 10 और कंपनियां राज्य में पहुंचीं।
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मणिपुर में एक बार फिर से हिंसा भड़क गई है। ऐसे में केंद्रीय बलों की 10 और कंपनियां राज्य में पहुंच गई हैं। वहीं, दूसरी तरफ नई दिल्ली में आज एक प्रमुख आदिवासी संगठन के सदस्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल सकते हैं।
यह है मामला
गौरतलब है, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
शनिवार को घरों के अंदर मारे गए लोग
बता दें, शनिवार को मणिपुर के क्वाक्टा इलाके में मैतेई समुदाय के तीन लोगों की उनके घरों के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई। कुछ घंटों बाद, चुराचांदपुर जिले में आदिवासी कुकी समुदाय के दो लोगों की हत्या कर दी गई। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या दोनों घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
सुरक्षा बलों की कंपनियां पहुंची
इसी के बाद फिर से हिंसा भड़क गई। बिगड़ते हालातों को देखते हुए राज्य में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की कंपनियां बुलाई गईं। अधिकारी ने पांच अगस्त को एक आदेश जारी कर बताया कि हिंसा वाली रात के बाद पांच केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, तीन सीमा सुरक्षा बल और एक-एक सशस्त्र सीमा बल और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की टीम हिंसाग्रस्त राज्य में पहुंचीं।
और बलों की जरूरत
सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इस घटनाक्रम पर बात की। उन्होंने बताया कि हिंसा को देखते हुए अधिक बलों की आवश्यकता थी। सैनिकों को उन स्थानों पर तैनात किया जाएगा, जहां से लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं या जहां तनाव है। उन्होंने कहा कि यदि झड़पों को पूरी तरह से रोकना है तो बफर जोन की निगरानी के लिए अधिक कर्मियों की आवश्यकता है।
इतने सैनिक मौजूद
बता दें कि पिछले तीन महीनों से जातीय संघर्षों से जूझ रहे पूर्वोत्तर राज्य में अब विभिन्न अर्धसैनिक बलों की कम से कम 125 कंपनियां, भारतीय सेना और असम राइफल्स की लगभग 164 टुकड़ियां मौजूद हैं। एक कंपनी में लगभग 120-135 कर्मचारी होते हैं। सेना की एक टुकड़ी में करीब 55-70 जवान होते हैं।