लिक्विड अपोजी मोटर इंजन का उपयोग कक्षा में उपग्रहों/अंतरिक्ष यान को स्थापित करने के लिए किया जाता है
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इसरो का सूर्य मिशन आदित्य-एल1 शनिवार यानी दो सितंबर को सुबह करीब 11.50 बजे लॉन्च किया जाएगा। लॉन्चिंग की लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। जब देश का पहला सौर मिशन अपने विश्वसनीय पीएसएलवी पर सवार होकर सूर्य की ओर अपनी यात्रा पर श्रीहरिकोटा से रवाना होगा तो इसरो की एक और शाखा द्वारा विकसित द्रव नोदन प्रणाली आदित्य-एल1 मिशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। लिक्विड अपोजी मोटर इंजन का उपयोग कक्षा में उपग्रहों आदि को स्थापित करने के लिए किया जाता है।
क्या है एलपीएससी प्रणाली
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) इसरो के प्रक्षेपण यान के लिए द्रव नोदन चरणों के डिजाइन, विकास और प्राप्ति का केंद्र है। द्रव नियंत्रण वाल्व, ट्रांसड्यूसर, निर्वात स्थितियों के लिए प्रणोदक प्रबंधन उपकरण और द्रव नोदन प्रणाली के अन्य प्रमुख घटकों का विकास भी इस केंद्र के दायरे में है। एलपीएससी की गतिविधियां और सुविधाएं इसके दो परिसरों अर्थात् एलपीएससी, वलियामाला, तिरुवनंतपुरम और एलपीएससी, बेंगलूरु, कर्नाटक में हैं।
एलपीएससी द्वारा विकसित एलएएम की भूमिका रहेगी अहम
एलपीएससी द्वारा विकसित लिक्विड अपोजी मोटर भारत की प्रमुख अंतरिक्ष उपलब्धियों में उपग्रह/अंतरिक्ष यान प्रणोदन में महत्वपूर्ण रही है। उसने तीन चंद्रयान और 2014 में मंगल मिशन में अहम भूमिका निभाई थी। एलपीएससी के उप निदेशक डॉ एके असरफ ने बताया कि अब हम आदित्य एल1 मिशन-आदित्य अंतरिक्ष यान में भी एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। जिसमें एलएएम (लिक्विड अपोजी मोटर) नामक एक बहुत ही दिलचस्प, बहुत बहुमुखी थ्रस्टर है, जो 440 न्यूटन का थ्रस्ट प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि एलएएम आदित्य अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित लैग्रेंजियन कक्षा में स्थापित करने में सहायक होगा।
उनके मुताबिक, जब प्रक्षेपण यान की भूमिका समाप्त हो जाती है तो एलएएम आदित्य अंतरिक्ष यान के प्रणोदन का कार्यभार संभाल लेता है। एलपीएससी द्वारा विकसित एलएएम अत्यधिक विश्वसनीय है, और 2014 में एमओएम के दौरान 300 दिनों की हाइबरनेशन के बाद प्रज्वलित होने का प्रभावशाली रिकॉर्ड है। वैज्ञानिक ने कहा कि एलएएम की भूमिका अंतरिक्ष यान को लैग्रेंजियन बिंदु तक ले जाना है। एलएएम थ्रस्टर का उपयोग पूरी तरह से प्रणोदन के लिए किया जाता है। इसमें कोई ब्रेक लगाना शामिल नहीं है।
आदित्य एल1 के साथ भेजे जाएंगे सात पेलोड
आदित्य एल1 भारत का पहला सोलर मिशन है, जिसे पीएसएलवी-सी57 से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस मिशन के साथ सात पेलोड भी भेजे जाएंगे जो सूरज का अध्ययन करेंगे। चार पेलोड सूरज से आने वाली रोशनी का अध्ययन करेंगे, वहीं बाकी तीन इन सिचुएशन पैरामीटर पर प्लाज्मा और चंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे। आदित्य एल1 पर सबसे अहम पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ या VELC है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा इसे टेस्ट और कैलिब्रेट किया गया है।