Agniveer
– फोटो : Amar Ujala/ Himanshu Bhatt
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अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में बतौर अग्निवीर भर्ती हुए पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह, 11 अक्तूबर को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के निकट शहीद हो गए थे। कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया है। ये देश के शहीदों का अपमान है। देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल सिंह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई। वहीं सरकारी सूत्रों ने इन आरोपों से इनकार किया है।
कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को ‘एक्स’ पर लिखा है, पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह, अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए थे। वे कश्मीर में तैनात थे और इसी सप्ताह गोली लगने से अमृतपाल सिंह शहीद हो गया। दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई। उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए। इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया। ये देश के शहीदों का अपमान है।
पंजाब के गांव कोटली कलां के अग्निवीर अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर, जब उनके घर पहुंचा तो पूरा गांव शोक में डूब गया। ग्रामीणों ने नम आंखों से बलिदानी को अंतिम विदाई दी। उस वक्त सेना की तरफ से शहीद को सलामी देने के लिए कोई यूनिट नहीं पहुंची। ग्रामीणों के आग्रह करने पर पंजाब पुलिस ने शहीद को सलामी दी। राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अमृतपाल सिंह के बलिदान पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, यह देश के लिए और खासतौर पर शहीद के परिवार के लिए अपूर्णनीय क्षति है। पंजाब सरकार, शहीद के परिवार के साथ खड़ी है। राज्य सरकार की नीति के मुताबिक, पीड़ित परिवार को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
शहीद अमृतपाल सिंह के चाचा सुखजीत सिंह और इंद्रजीत सिंह का कहना था कि यह परिवार बहुत गरीबी से गुजरा है। जब अमृतपाल सिंह, भारतीय सेना में भर्ती हुआ तो परिवार को कुछ आर्थिक मजबूती मिलने की आस बंधी थी। उन्होंने केंद्र सरकार और पंजाब सरकार से परिवार की आर्थिक मदद करने की अपील की है।
ये कहना है सूत्रों का
सरकार के सूत्रों का कहना है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की 11 अक्तूबर को राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को लगी चोट के कारण मृत्यु हो गई थी। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी द्वारा इसकी वजहों का सटीक पता लगाया जा रहा है। वहीं प्राइवेट एंबुलेंस से पार्थिव शरीर भेजने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि अग्निवीर की यूनिट द्वारा मृतकों के पार्थिव शरीर को एक सिविल किराये की एम्बुलेंस में ले जाया गया। सेना की व्यवस्था के तहत पार्थिव शरीर के साथ एक जूनियर कमीशंड अफसर और चार अन्य रैंक के अधिकारी भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। वहीं सैन्य सम्मान न दिए जाने पर सूत्रों का कहना है कि मौत का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है, साथ आए कर्मी सिविल ड्रेस में थे और मृतक को कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य सम्मान प्रदान नहीं किया गया था। यह इस विषय पर मौजूदा नीति के अनुरूप है।