Agriculture: ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहे कीटों के हमले, फसलों को नुकसान, कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि होगी घातक

Agriculture: ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहे कीटों के हमले, फसलों को नुकसान, कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि होगी घातक



Genetically Modified crops
– फोटो : Istock

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ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कीटों का हमला बढ़ता जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार, इन कीटों ने खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढाल लिया है और अब यह ज्यादा आक्रामक तरीके से विभिन्न प्रकार की फसलों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं। लगातार गर्म हो रही दुनिया में तापमान और आर्द्रता में परिवर्तन कीट और बीमारियों के फैलाव के दो बड़े चालक हैं। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता बढ़ने से यह प्रवृत्ति और भी बढ़ जाएगी।

पबमेड सेंट्रल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि बढ़ती गर्मी (लाही, मांहू या चेपा) पर गहरा प्रभाव डालेगी। मुलायम शरीर वाले कीड़े जो पौधों का रस चूसकर पत्तियों और फूलों को खराब कर देते हैं, इन्हें लगभग 250 एफिड प्रजातियों के रूप में पहचाना गया है। मौसम के साथ अनुकूलन करके इन्होंने विभिन्न पौधों के परिवारों की कई फसलों को प्रभावित किया है। ये पौधों में विषाणु प्रसारित करने के लिए भी जाने जाते हैं। एफिड्स दुनियाभर में पाए जाते हैं और आमतौर पर बसंत व शरद ऋतु में 1300 किमी तक प्रवास की क्षमता रखते हैं। चूंकि ये परिवेश के तापमान में बदलाव के प्रति संवेदनशील हैं, इसलिए इन्होंने अपने जीवनचक्र में बदलाव कर लिया है और अब ये वर्षा ऋतु में भी प्रवास करने लगे हैं। इनका यह प्रवास फसलों के लिए बहुत नुकसानदायक है।

जर्नल इंसेक्ट्स में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में बताया गया है कि सर्दियों से पहले और शुरुआती सर्दियों में स्टोमाफिस प्रजाति की मादा वयस्क एफिड्स के जीवन में चार महीने का लंबा विस्तार हुआ है।








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