अतरौली अनिल कटिहार से जानकारी लेती जिला पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह
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पहाड़ी इलाकों में हो रही भारी बारिश के कारण गंगा और यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। खासकर यमुना में जलस्तर बढ़ जाने से शनिवार को बाढ़ ने अब रौद्र रूप धारण कर लिया। टप्पल इलाके में छह गांव पानी में डूब गए हैं। करीब 5000 बीघा से अधिक फसल पानी में डूब जाने से बर्बाद हो गई है। पशुओं के चारे का संकट भी गहरा गया है। कई गांवों का एक-दूसरे से संपर्क मार्ग भी टूट चुका है। इससे ग्रामीणों का अब पलायन भी शुरू हो गया है। महाराजगढ़ में पानी का स्तर बढ़ने लगा है। इससे ग्रामीण अब आबादी से दूसरे सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे हैं।
बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे गांव को छोड़ चुके हैं। अब केवल घरों में पशुओं की देखभाल के लिए पुरुष ही रह गए हैं। टप्पल में बने जमुना खंड इंटर कॉलेज में बने राहत शिविर में भी ग्रामीणों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार तक ग्रामीण गांव छोड़ने को तैयार नहीं थे, लेकिन यमुना में पानी बढ़ने एवं उसके गांव और घरों में घुस जाने से उनका गांव से पलायन शुरू हो गया है। गांव नगला अमर सिंह, शेरपुर, पखौदना में भी लोगों ने भी दूसरे दिन सुरक्षित स्थानों पर जाना शुरू कर दिया है।
महाराजगढ़ गांव में धान की फसल देखने खेत पर गए तीन युवक एवं एक ग्रामीण की चार भैंस भी बाढ़ के पानी में बह गईं। हालांकि ग्रामीणों के शोर मचाने एवं राहत कार्यों में जुटे गोताखोरों ने करीब डेढ़ किमी दूर जाकर इन्हें नाव से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। गांव ऊंटासानी, रामगढ़ी, धारा की गढ़ी समेत कई गांवों में हजारों बीघा फसल पानी में डूब चुकी है। पशुओं के चारे का संकट भी बन गया है। इन सभी गांवों के आवागमन के रास्तों समेत चारों ओर पानी भर गया है।
खास बातें
- 200.30 मीटर है यमुना में जलस्तर
- 200.600 मीटर पर यमुना में खतरे का निशान
- 178.50 मीटर है अभी गंगा में जल स्तर
- 178.765 मीटर पर गंगा में खतरे का है निशान