पूर्व विधायक जमीर उल्लाह खान
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अलीगढ़ में सपा के पूर्व विधायक जमीरउल्लाह ने पहली बार सड़कों पर नमाज न पढ़े जाने पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि उनके जीवन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब वे बकरीद के मौके पर ईदगाह नहीं गए और लोगों से गले नहीं मिल सके। उन्होंने कहा कि हालांकि ये कोई कानून नहीं, मगर सरकार का आदेश था, इसलिए उन्होंने माना। विरोध स्वरूप अपने मोहल्ले की मस्जिद में नमाज पढ़ी।
वे कहते हैं कि साल में तीन बार मुस्लिम भाई अपने बुजुर्गों की कब्रों पर फातिहा पढ़ने जाते हैं। दो बार ईद उल फितर व ईद उल अजहा पर और एक बार शब ए बरात पर। ईदगाह कब्रिस्तान के बराबर में है। इसलिए वहां ज्यादा संख्या में लोग जाते हैं। मगर पहली बार देखने को मिला कि ईदगाह को चारों ओर से संगीनों और पुलिस वाहनों से घेर लिया गया। वहां ऐसे सड़क पर नमाज न पढऩे की पाबंदी कर दी गई कि जैसे कोई हाईवे है। अरे पांच से दस मिनट में नमाज पढ़ ली जाती है।
जब किसी राजनीतिक रैली की अनुमति दी जाती है और उसके आसपास के मार्गों पर यातायात प्रतिबंधित किया जाता है तो नमाज के लिए क्यों यातायात प्रतिबंध नहीं हो सकता। ईदगाह के आसपास सभी धर्मों के ठेल-ढकेल वालों का रोजगार प्रभावित हुआ और उन गरीबों को अनाज नहीं दे सके, जो मांग कर जीवन यापन करते हैं। एक वो भाजपा थी, जब खुद मुख्यमंत्री रहते राजनाथ सिंह ईद के मौकों पर ईदगाह पहुंचते थे। आज ये भाजपा है।