तोते की चोंच कटने के बाद और सर्जरी के बाद
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पंखे से एक तोते की चोंच कट गई थी। जिससे वह कुछ खा भी नहीं पा रहा था। कई चिकित्सकों को दिखाया, पर सभी ने मना कर दिया। फिर अलीगढ़ के वरिष्ठ पशु शल्य चिकित्सक डॉ विराम वार्ष्णेय ने ऑपरेशन करके उसके चोंच को जोड़ दिया। जिससे तोते को नई जिंदगी मिल गई।
अलीगढ़ के खिरनी गेट निवासी अमन के घर में एक तोता है। 10 दिन पहले जिस पिंजड़े में तोता रहता है, वह खुला रह गया। तोता पिंजड़े से बाहर निकल आया और कमरे में उड़ने लगा। इस दौरान छत पर लगे पंखे से वह टकरा गया। इसमें उसकी चोंच कट गई। चोंच कट जाने से तोता कुछ खा नहीं पा रहा था, उसे ड्राप मशीन के सहारे तरल पदार्थ खिलाया जा रहा था।
तोते का प्राथमिक उपचार तो हो गया, लेकिन वह परेशान था, क्योंकि कुछ खा नहीं पा रहा था। तोते की कटी चोंच को लेकर पशु चिकित्सकों के चक्कर अमन लगाते रहे, लेकिन पशु चिकित्सकों ने चोंच को जोड़ने से मना कर दिया। किसी के बताने वह पशु चिकित्सक डॉ. विराम वार्ष्णेय की क्लीनिक पर पहुंचे। डॉ. विराम ने तोते की चोंच की ऑपरेशन से जोड़ने की बात कही।
डॉ. विराम ने बताया कि तोते की चोंच कटने से वह खाना नहीं खा पा रहा था, क्योंकि चोंच से ही वह खाना खाता था। चोंच कटने से न खाना खा पा रहा था, न हीं उठा पा रहा था। इससे अमन परेशान थे। अमन के पास कटी हुई चोंच रखी हुई थी। दो घंटे तक चले ऑपरेशन में चोंच को एकदम सही कर दिया गया। यह इम्प्लांट एसएस (स्टेनलेस स्टील) से जोड़ा गया। तोते की चोंच कैंरेटिन की बनी होती है।
ऑपरेशन के दूसरे दिन के बाद से ही तोता सामान्य तरीके से खाने-पीने लगा। डॉ. वार्ष्णेय ने कहा कि एक छोटे से पक्षी का वजन बहुत कम होता है। इसलिए निर्धारित एनस्थीसिया का डोज देना पड़ता है। अब तोता आराम से खा-पी रहा है। डॉ. विराम ने कहा कि हमें अपने पालतू जानवर का सही से ध्यान रखना चाहिए। लापरवाही बड़ी घटना घट सकती है।