Aligarh: इफको-पीआई इंडस्ट्रीज़ के कीटनाशक नमूने हुए फेल, चार दुकानों के लाइसेंस निलंबित

Aligarh: इफको-पीआई इंडस्ट्रीज़ के कीटनाशक नमूने हुए फेल, चार दुकानों के लाइसेंस निलंबित



दुकान पर नमूना लेते अधिकारी
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


अलीगढ़ जनपद में हो रही गुणवत्ता जांच में इफको एवं पीआई इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनियों के कीटनाशक दवाओं के नमूने अधोमानक पाए गए हैं। जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने बताया कि खरीफ मौसम में कीटनाशक निर्माताओं, वितरकों एवं विक्रेताओं के गोदामों एवं विक्रय केंद्रों से 33 नमूने लिए गए। 

जिसमें पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड का विस्पारीबैक सोडियम 10 प्रतिशत, एससी, सुमीटोमो इंडिया लिमिटेड का इमिडाक्लोरोप्रिड 70 प्रतिशत डब्लूजी, इफको एमसी क्रॉप साइंस प्राइवेट लिमिटेड का कार्बेनडाजिम 12 प्रतिशत, मैनकोजेब 63 प्रतिशत, डब्लूपी और ओमेगा क्रॉप केयर का प्रोफेनोफॉस 40 प्रतिशत, साइपर मेथ्रिन चार प्रतिशत ईसी के नमूने राजकीय गुण नियंत्रण प्रयोगशाला से अधोमानक घोषित किए गए है।

 

अधोमानक कीटनाशक दवाओं के संबंधित बैच की बिक्री जनपद में तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है। उन्होंने बताया कि गुप्ता बीज भंडार खैर, प्रकाश पेस्टिसाइड बस स्टैंड अलीगढ़, शर्मा कृषि सेवा केंद्र अमरौली एवं राजेंद्र फर्टिलाइजर्स अतरौली के लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर कीटनाशक अधिनियम-1968 के तहत सुसंगत धाराओं में वाद दायर करने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है।

धान के किसानों को सलाह 

उप कृषि निदेशक कृषि रक्षा डॉ. सतीश मलिक ने जनपद के किसानों से कहा है कि धान की रोपाई हो चुकी है। मूंगफली की खुदाई की जा रही है। धान की फसल में कीट और रोग सर्वेक्षण के दौरान कहीं-कहीं बकानी रोग का प्रकोप देखा गया है। बकानी रोग से ग्रसित पौधा सामान्य पाैधे से बड़ा एवं हल्के रंग का होता है। इस पौधे में दाने नहीं बनते हैं। यह रोग (फ्यूजेरियम मोनिलिफार्म) नामक फफूंदी के द्वारा होता है, जो बीज और भूमि द्वारा फैलता है। 

इससे बचाव के लिए बीज शोधन, भूमि शोधन एवं पौध शोधन ट्राइकोडरमा द्वारा किया जाना चाहिए। इस समय धान की फसल में अंकुर निकल रहे हैं। धान में तना छेदक (सूंडी) के बचाव के लिए क्लोरेंन्ट्रानिलिप्रोल 9.3 प्रतिशत एवं लैम्डासाइहैलोथ्रिन 4.6 प्रतिशत 80 मिलीलीटर अथवा क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत, ईसी की 500 से 750 मिलीलीटर मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। यूरिया का प्रयोग उचित मात्रा में करें। अधिक मात्रा होने पर बीमारी व रोग बढ़ने की संभावना रहती है।



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