Amarnath Yatra: टस से मस नहीं होते CRPF के जांबाज, यात्रा रूट पर 10 किलो वजन लेकर कर रहे 14 घंटे की ड्यूटी

Amarnath Yatra: टस से मस नहीं होते CRPF के जांबाज, यात्रा रूट पर 10 किलो वजन लेकर कर रहे 14 घंटे की ड्यूटी




Amarnath Yatra: CRPF
– फोटो : Amar Ujala

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अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, उनकी तरफ कोई आतंकी आंख उठाकर न देखे और बरसात या दूसरी आपदा में कोई जोखिम न हो, इसके लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। तूफान आता है, बादल फटने की घटना हो या भारी बरसात, सीआरपीएफ के जांबाज टस से मस नहीं होते। सामान्य तौर पर भले ही आठ घंटे की ड्यूटी हो, लेकिन यात्रा के दौरान इन जवानों को 10 किलो वजन लेकर अमूमन 12 से 14 घंटे और इससे भी अधिक समय तक खड़े होकर ड्यूटी देनी पड़ती है। ये जवान एक पल के लिए भी बैठते नहीं हैं। नतीजा, इन्हें स्वास्थ्य का जोखिम उठाना पड़ता है। कई जवानों को घुटनों में दर्द की शिकायत होने लगी है। चूंकि ये जवान पहले भी किसी दूसरी जगह पर खड़े होकर ही ड्यूटी देते हैं, तो ऐसे में इनके घुटनों की कार्ट्रेज घिस जाती है। नतीजा, यह समस्या सर्जरी तक चली जाती है।

रात में कैंप सिक्योरिटी की ड्यूटी भी देनी पड़ती है

जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के रूट पर यात्रियों को कोई खतरा न हो, इसके लिए देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहता है। 12 से 14 घंटे की तैनाती के बाद भी जवानों आराम नहीं मिलता। रूट पर लगे जवानों को रात में कैंप सिक्योरिटी की ड्यूटी भी देनी पड़ती है। यात्रा के दौरान छुट्टी का सवाल ही नहीं उठता। ड्यूटी पर फोन रखना मना है। अगर जवान को अपने परिवार से बात करनी है, तो वह उसके कैंप में पहुंचने के बाद ही संभव हो पाती है। यात्रा रूट पर एक जवान के पास हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और पटका भी रहता है। इन सबको मिलाकर करीब दस किलो वजन बनता है। ड्यूटी के दौरान कोई भी जवान, इन्हें एक पल के लिए भी अपने शरीर से अलग नहीं करता।



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