एसजीपीसी की बैठक
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शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव में मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा 20 जून को विधानसभा में पारित सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। एसजीपीसी के जनरल हाउस की सोमवार को तेजा सिंह समुंद्री हॉल में हुई एक विशेष बैठक में यह फैसला लिया गया।
बैठक के बाद शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने शिरोमणि कमेटी कार्यालय में मीडिया को बताया कि यह सभा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में पारित सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक 2023 के विषय पर बुलाई गई थी जिसमें पंजाब सरकार ने श्री हरमंदिर साहिब से मुफ्त गुरबाणी प्रसारण देने का प्रस्ताव पारित किया था। धामी ने कहा कि अगर वे आज झुक गए तो एसजीपीसी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
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एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा सीधे तौर पर गुरुद्वारे की व्यवस्था में हस्तक्षेप करते हुए असांविधानिक बिल पारित किया गया है। इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा। अगर आज सरकार के आगे झुक कर विरोध न किया गया तो एसजीपीसी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
धामी ने कहा कि पंजाब सरकार गुरबाणी प्रसारण को मुद्दा बनाकर सिख संगठन को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि एक्ट में संशोधन के लिए शिरोमणि कमेटी के जनरल हाउस का बहुमत जरूरी है। संसद संशोधन प्रस्ताव को तभी मंजूरी देती है जब इसे जनरल हाउस द्वारा पारित किया जाता है और केंद्र को भेजा जाता है। धामी ने कहा कि अगर सरकार फिर भी नहीं मानी तो हम श्री अकाल तख्त साहिब से मार्च शुरू करेंगे।
शिरोमणि कमेटी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा है कि पंजाब सरकार सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल की आड़ में शिरोमणि कमेटी पर कब्जा करना चाहती है। लेकिन विपक्षी सदस्य भी इस मुद्दे पर एकजुट हैं। किसी भी कीमत पर एसजीपीसी पर सरकार का अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।
धामी ने कहा है कि न सिर्फ सीएम मान बल्कि केंद्र को भी किसी तरह का संशोधन करने का अधिकार नहीं है। सिख गुरुद्वारा एक्ट में कोई भी संशोधन केवल शिरोमणि कमेटी की सिफारिश पर ही किया जा सकता है। धामी ने सीएम मान और विधायक बुद्धराम को सिखों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए सिख समुदाय से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को भी कहा है।