एएमयू
– फोटो : फाइल फोटो
विस्तार
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) को देश-दुनिया में इल्म का मरकज माना जाता है। इल्म की इस बगिया के दो फूल (विद्यार्थी) भारत रत्न पा चुके हैं। इस इदारे से निकले छात्र कई देश के राष्ट्र अध्यक्ष भी रहे। यहीं से प्रख्यात इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब भी पढ़े हैं, जिनकी वजह से एएमयू का नाम रोशन हो रहा है, लेकिन बीए प्रथम वर्ष के छात्र फैजान अंसारी ने अपनी हरकतों से एएमयू के दामन को दागकर कर दिया है। उसे एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने आईएस से संबंध होने के आरोप में पकड़ लिया है।
इस इल्म के मरकज पर किसी न किसी छात्र की वजह से ही बदनामी के छींटे पड़ ही जाते हैं। इस इदारे से जिंगदियां संवरती हैं। नस्लें परवान पाती हैं। मां-बाप अपने बच्चे की कामयाबी से सुर्खरू होते हैं। मगर, कुछ की गलतियों से एएमयू को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। एक की गलती से 35 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को दिक्कतें होती हैं। देश-दुनिया में फैले अलीग बिरादारी भी परेशान हो जाते हैं। लिहाजा, इदारे के तालिब-ए-इल्म को चाहिए कि वो कोई ऐसा काम न करें, जिससे उनकी वजह से उनके इदारे और उनके खानदान को रुसवा होना पड़े। इसलिए सुनो ऐ फैजानों ऐसा कोई काम न करो, एएमयू को बदनाम न करो।
एएमयू 103 साल के इतिहास में भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री से यहां के विद्यार्थियों को सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 1963 में एएमयू के पूर्व कुलपति व देश के तीसरे राष्ट्रपति रहे डॉ. जाकिर हुसैन और वर्ष 1983 में खान अब्दुल गफ्फार खान उर्फ सीमांत गांधी को भारत रत्न दिया गया। सीमांत गांधी ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में पढ़ाई की थी। एएमयू के पूर्व छात्र लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री मंसूर अली, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद आमीन दीदी बने, जिन्होंने एएमयू में पढ़ाई की थी।
अब यहीं के छात्र बीए प्रथम फैजान अंसारी ने एएमयू की बदनामी कराई है। इससे पहले यहीं का छात्र मन्नान वानी आतंकवादी बन गया था, जो बाद में मुठभेड़ में मारा गया था। एएमयू से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी एक छात्र की गलती से एएमयू को बदनाम करना भी मुनासिब नहीं है। तालाब की एक मछली के खराब होने से पूरी मछलियां खराब नहीं हो जाती।