भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरम्भ: 28 सितम्बर, 2023 प्रातः 06:12 से
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त:28 सितम्बर, 2023 सायं 18:51 तक
कुल अवधि: 12 घंटे 39 मिनट
अनंत चतुर्दशी 2023 पर गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 11 मिनट से लेकर 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा,वहीं शाम के समय का गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त 04 बजकर 41 मिनट से रात 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
शुभ समय चौघड़िया
शुभ – शुभ- 06:12 से 07:42 तक
चर – अच्छा- 10:42 से 12:11 तक
लाभ – शुभ- 12:11 से 13:30 तक
शुभ – शुभ- 16:41 से 18:11 तक
राहु काल (अशुभ समय): दोपहर 01:30 से 03:20 तक
अनंत चतुर्दशी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई थी। अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल,अतल,वितल,सुतल,तलातल,रसातल,पाताल,भू,भुवः,स्वः,जन,तप,सत्य,मह की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने हेतु श्री हरि विष्णु अनंत के रूप में स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए कहते हैं जो भी अनंत चतुर्दशी का व्रत रखता है और भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है तो वे उन्हें इसका अनंत फल देते हैं। कहते हैं अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी से जुड़े नियम
यह व्रत भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इसके लिए चतुर्दशी तिथि सूर्य उदय के पश्चात दो मुहूर्त में व्याप्त होनी चाहिए।
यदि चतुर्दशी तिथि सूर्य उदय के बाद दो मुहूर्त से पहले ही समाप्त हो जाए तो अनंत चतुर्दशी पिछले दिन मनाए जाने का विधान है।
इस व्रत की पूजा और मुख्य कर्मकाल दिन के प्रथम भाग में करना शुभ माने जाते हैं।
यदि प्रथम भाग में पूजा करने से चूक जाते हैं, तो मध्याह्न के शुरुआती चरण में करना चाहिए। मध्याह्न का शुरुआती चरण दिन के सप्तम से नवम मुहूर्त तक होता है।
चतुर्दशी पूजा विधि
अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन प्राप्त होता है। चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा अर्चना करने का विधान है। अनंत चतुर्दशी की पूजा दोपहर के समय की जाती है। अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है-
चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें।
कलश पर कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें अगर आप चाहें तो श्री हरि विष्णु की तस्वीर भी लगा सकते हैं।
अब एक धागे को कुमकुम,केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें। ध्यान रहे इस सूत्र में चौदह गांठें लगी होनी चाहिए।
अब इस सूत्र को भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष रखें।
इसके बाद भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें।
इस मंत्र का जाप करें-“अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।”
पूजन समाप्त होने के पश्चात अनंत सूत्र को पूजा स्थल से उठाकर अपनी बांह में बांध लें।
ध्यान रखें कि पुरुष अनंत सूत्र को दाहिने हाथ में और महिलाएं बांये हाथ में बांध सकती हैं।
पूजन समाप्ति के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें।