रोशनी में नहाया लाल चौक…
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अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटे चार साल पूरे हो गए। इन चार सालों में धरातल पर आबोहवा बिल्कुल बदल गई है। अब घाटी में बम के धमाकों की आवाज नहीं बल्कि संगीत की स्वरलहरियां गूंजती हैं। अलगाववादियों के गढ़ डाउन टाउन तथा ऐतिहासिक लाल चौक पर अब शान से तिरंगा लहराता है। घाटी से विलुप्त हो चुकी फिल्म संस्कृति दोबारा जीवंत हो उठी है। शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, बारामुला, कुपवाड़ा व श्रीनगर में सिनेमा हॉल खुल गए हैं।
34 साल बाद श्रीनगर की सड़कों पर शिया समुदाय ने मोहर्रम का जुलूस निकाला। इतना ही नहीं पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के एक नुमाइंदे का भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया। 1990 के बाद पहली बार भारी संख्या में कश्मीरी पंडित अपने पूर्वजों का पिंडदान करने 30 जुलाई को अनंतनाग के मट्टन स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर में पहुंचे।
बड़ा बदलाव यह भी रहा कि जी-20 पर्यटन समूह की बैठक सकुशल संपन्न हो गई। इससे पाकिस्तान, चीन समेत पूरे विश्व को कश्मीर का सच दिखाने में बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली। 1947 में कबायलियों के हमले में एलओसी पर टिटवाल में तहस नहस शारदा मंदिर का जीर्णोद्धार के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने उद्घाटन किया।
कश्मीर के माहौल में आए बदलाव व शांति का परिणाम ही है कि पूरा बॉलीवुड अब कश्मीर की ओर देख रहा है। 300 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की प्रदेश प्रशासन अनुमति दे चुका है। नए जम्मू-कश्मीर की बदली फिजा में डल देर रात तक आबाद है। नाइट लाइफ लौट आई है। पत्थरबाज सड़कों से गायब हंै। अलगाववाद की राह चलने वाले लोगों ने अपना रास्ता बदल लिया है। आम लोग अब इनकी बात नहीं सुनते।
रोशनी से जगमगाता है लाल चौक
अब कश्मीर के लोग तिरंगे से परहेज नहीं करते बल्कि डल झील में तिरंगा शिकारा रैली निकालते हैं। स्कूल-कॉलेजों में राष्ट्रगान गाया जाता हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ऐतिहासिक लाल चौक पर क्लाॅक टॉवर को यूरोपियन डिजाइन से तैयार किया गया है। रात में रोशनी से नहाए लाल चौक की छवि मिनी पेरिस का अहसास करा रही है। चार साल में एक भी दिन घाटी में बंद की कॉल नहीं आई। न ही पाकिस्तानी झंडे लहराए गए और न ही देशविरोधी नारेबाजी की गई।
कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए युद्धस्तर पर चल रही तैयारी
तीन दशक से भी अधिक समय से विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों में आस जगी है कि अब घाटी का माहौल व आबोहवा बदल रही है, उन्हें अपनी माटी से जुड़ने का मौका मिल सकता है। लेकिन टारगेट किलिंग की घटनाओं से उनमें माहौल के सामान्य होने को लेकर संशय भी है। हालांकि, सरकार की ओर से कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की दिशा में युद्धस्तर पर काम किए जा रहे हैं। पीएम पैकेज के लगभग छह हजार पद भर लिए गए हैं, जो पूर्व में इस आशंका में नहीं भरी जाती थीं कि दोबारा कश्मीरी पंडित घाटी में लौट न आएं। उनकी आवास समस्या का भी निदान किया जा रहा है। सरकार की ओर से स्थायी रूप से कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इनमें उन्हें रियायती दर पर जमीन उपलब्ध कराना है।
- खुले निवेश के नए द्वार… औद्योगिक क्षेत्र में विकास के नए द्वार खुले हैं। अब तक देश-विदेश से 80122 करोड़ रुपये के 5973 निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। सरकार की ओर से करीब 25 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए करीब 1770 औद्योगिक इकाइयों को मंजूरी दी गई है।
- पर्यटन को लगे पंख…370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को मानो पंख लग गए हो। वर्ष 2022 में यहां 1.88 करोड़ पर्यटक आए थे तो इस वर्ष महज सात माह में 1.27 करोड़ सैलानियों ने घाटी की खूबसूरती निहारी।
भ्रष्टाचार पर नकेल…रोशनी, गन लाइसेंस और भर्ती घोटाले का किया पर्दाफाश
एक वक्त था जब सीबीआई को किसी मामले की जांच करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की अनुमति लेनी पड़ती थी, लेकिन 370 हटने के बाद जांच ऑन द स्पॉट होती है। सीबीआई ने चार वर्षों में 60 से ज्यादा मामले दर्ज कर 25 लाख करोड़ रुपये के रोशनी घोटाले, पूर्व वित्त मंत्री के बेटे द्वारा 700 करोड़ रुपये का बैंक लोन घोटाला, 4 लाख फर्जी गन लाइसेंस घोटाला, पुलिस के 1300 सब इंस्पेक्टरों की भर्ती का घोटाला जैसे मामलों का पर्दाफाश किया।
आतंक पर जीरो टॉलरेंस…आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए सरकार ने टेरर लिंक में 52 सरकारी अफसरों को बर्खास्त किया। इनमें सैय्यद सलाहुदीन के बेटों सैय्यद अब्दुल मुईद, शाहिद युसूफ व सैय्यद अहमद शकील को बर्खास्त किया गया।