BJP
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पांच राज्यों में से तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता की सीढ़ी एससी-एसटी वर्ग के मतदाता हैं। तीनों ही राज्यों में जीत हासिल करने के लिए भाजपा को सुरक्षित सीटों का तिलिस्म तोड़ना होगा। बीते चुनाव में इन सीटों पर बुरे प्रदर्शन ने पार्टी की सत्ता से विदाई की पटकथा लिखी थी। दरअसल कांग्रेस ने दो तिहाई सुरक्षित सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा के सत्ता बरकरार रखने के सपने पर ग्रहण लगा दिया था।
गौरतलब है कि इन तीनों राज्यों में विधानसभा सीटों की संख्या 520 है। इनमें से करीब 35 फीसदी (180) सीटें एससी-एसटी उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित हैं। बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा इनमें से एक तिहाई से भी कम सीटों पर जीत हासिल कर पाई। साल 2013 के चुनाव में सुरक्षित सीटें ही भाजपा की ताकत थीं। खासतौर पर सुरक्षित सीटों पर भाजपा ने साल 2013 के मुकाबले राजस्थान और मध्यप्रदेश में बेहद बुरा प्रदर्शन किया था।
मध्य प्रदेश में भी मिली थी निराशा
मध्य प्रदेश में भी भाजपा को सुरक्षित सीटों पर बुरे प्रदर्शन की कीमत सत्ता गंवा कर चुकानी पड़ी थी। राज्य में सुरक्षित सीटों की संख्या 82 है। भाजपा को इनमें से महज 25 सीटें मिली थीं। 2013 के चुनाव में पार्टी को 53 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 2013 की तुलना में 28 सीटों का लाभ मिला था। पार्टी को 82 में से 40 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। भाजपा की जीती हुई सीटों की संख्या बीते चुनाव के मुकाबले करीब आधी रह गई थी, जबकि कांग्रेस की जीती सीटों की संख्या 12 से बढ़ कर 40 हो गई थी।
छग में भी लगा झटका
भाजपा को 2013 के चुनाव के मुकाबले 2018 में सुरक्षित सीटों के मामले में छत्तीसगढ़ में भी बड़ा झटका लगा था। राज्य में एससी और एसटी सुरक्षित सीटों की संख्या 39 है। पार्टी को इनमें से महज छह सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। साल 2013 में भाजपा को एससी सुरक्षित दस में से नौ सीटें मिली थी जो 2018 में घट कर दो रह गई। इसी प्रकार पार्टी को एसटी सुरक्षित 29 में से महज चार सीटें मिली। सुरक्षित सीटों पर बुरे प्रदर्शन के कारण कांग्रेस को राज्य में तीन चौथाई बहुमत हासिल हो गया।
राजस्थान में एससी सुरक्षित सीटों ने डुबो दी थी नैया
राजस्थान में एसटी सुरक्षित 25 और एससी सुरक्षित 34 सीटें हैं। साल 2013 के चुनाव में भाजपा ने एससी सुरक्षित 34 में से 32 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी। हालांकि बीते चुनाव में यह संख्या घट कर 11 हो गई। वहीं कांग्रेस जिसे तब एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी उसने 21 सीटों पर जीत दर्ज की। एसटी सुरक्षित सीटों पर भी कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ी थी। भाजपा को 2013 के चुनाव के मुकाबले 13 की जगह 10 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस ने सात की जगह 13 सीटें जीती थीं।