बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया।
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया लिवर की समस्या से जूझ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि खालिदा जिया की हालत गंभीर हैं। उनकी मृत्यु का संकट अधिक है। बता दें, एक दिन पहले उन्हें बांग्लादेश के सबसे बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व पीएम के निजी चिकित्सक का कहना है कि खालिदा लीवर सिरोसिस बीमारी से जूझ रही हैं। वहीं, डॉक्टरों की एक टीम ने कहा है कि, संशाधनों की कमी के कारण बांग्लादेश में उनका इलाज संभव नहीं है, इसलिए उन्हें विदेश जाना चाहिए। हालांकि, शेख हसीना सरकार ने विदेश जाने की याचिका को खारिज करन दिया है।
पूर्व पीएम पर यह आरोप
बांग्लादेश के नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष खालिदा जिया (79) पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति के नाम पर बने एक अनाथालय के धन का गबन किया है। भ्रष्टाचार के दो मामलों में जिया को 17 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, 2020 में उन्हें सशर्त रिहाई दे दी गई, जिसके बाद से वह लगातार घर में ही नजरबंद थीं। बता दें, खालिदा के पति जिया-उर-रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं।
गहन जांच की आवश्यकता है
जिया के निजी चिकित्सक जाहिद हुसैन ने बताया कि लीवर सिरोसिस बीमारी के कारण पूर्व पीएम की दिल और किडनी खराब हो गई। उन्हें गहन जांच और निगरानी की आवश्यकता है, जिस वजह से उन्हें कोरोनरी केयर यूनिट में स्थानांतरित किया गया है। 17 डॉक्टरों का पैनल उनकी जांच कर रहा है। वहीं, एवरकेयर हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड ने कहा कि बांग्लादेश में संशाधनों की कमी है, जिस वजह से बांग्लादेश में उनका इलाज संभव नहीं है। डॉक्टर ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए विदेश जाने का सुझाव दिया है।
विदेश जाने की याचिका खारिज
बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद ने विदेश जाने की अपील पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पैनल में शामिल डॉक्टर उनकी पार्टी से ही जुड़े हुए हैं। वह पार्टी कार्यकर्ताओं की तरह बात कर रहे हैं। हालांकि, सरकार पूर्व पीएम के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर हैं। हम उनके लिए चिंतित हैं। अगर जरूरत पड़ेगी तो हम विदेश से डॉक्टर को बांग्लादेश बुलवाएंगे। डॉक्टरों की सलाह पर पार्टी नेताओं ने सरकार से मांग की थी कि पूर्व पीएम को विदेश जाकर इलाज कराने की अनुमति दी जाए, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया। जिया के परिजनों ने भी पिछले माह जर्मनी में इलाज के लिए अनुमति मांगी थी, जिसे सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह विदेश जाने की आज्ञा नहीं दे सकते। इसके लिए कोर्ट का ही रूख करना पड़ेगा।