स्कूल की छात्राएं (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल ने निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बंगाली को दूसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को सोमवार को मंजूरी दे दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए एक शिक्षा आयोग के गठन को भी मंजूरी दी गई।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि दूसरी भाषा के रूप में बंगाली का अध्ययन करने के विकल्प हैं, लेकिन ज्यादातर छात्र हिंदी या अन्य भाषाओं को पसंद करते हैं। नतीजतन, छात्र ठीक से बंगाली नहीं सीख रहे हैं। आज, राज्य मंत्रिमंडल ने इसे बदलने और राज्य के सभी निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बंगाली को अनिवार्य दूसरी भाषा बनाने का फैसला किया।
अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य आयोग की तर्ज पर शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा और एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसके प्रमुख होंगे। उन्होंने कहा, ‘महामारी के दौरान हमें निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस में अत्यधिक वृद्धि करने के बारे में कई शिकायतें मिलीं। इसके अलावा, पाठ्यक्रम और परीक्षा आयोजित करने के तरीके के बारे में शिकायतें थीं। यह आयोग इन सभी मुद्दों पर गौर करेगा।’
बांग्ला पोक्खो ने बंगाली को दूसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने के फैसले का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को बधाई दी। बंगाली भाषा को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाले संगठन के संगठन सचिव कौसिक मैती ने कहा, बंगाल के लोग लंबे समय से इस फैसले का इंतजार कर रहे थे।
राज्य मंत्रिमंडल ने एक समिति के गठन के लिए भी अपनी मंजूरी दी जो राज्य में सात नए जिलों के निर्माण पर अगले तीन महीनों में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगी। अधिकारी ने कहा कि नादिया, बीरभूम, मालदा, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर जिलों को विभाजित कर इन सात नए जिलों का निर्माण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हकीम, अरूप बिस्वास और मलय घटक तथा मुख्य सचिव एच के द्विवेदी इस समिति के सदस्य होंगे। बैठक में बनर्जी ने राज्य सरकार के सभी फैसलों को लागू करने के लिए 15 दिन की समयसीमा भी तय की। अधिकारी ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों से कार्यान्वयन पर रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को सौंपने के लिए कहा।