Bihar : चुनाव के लिए तुरुप के पत्ते पर सुबहानी की दो टूक बता रही आनंद मोहन क्या करेंगे; नीतीश के साथ जाएंगे?

Bihar : चुनाव के लिए तुरुप के पत्ते पर सुबहानी की दो टूक बता रही आनंद मोहन क्या करेंगे; नीतीश के साथ जाएंगे?



अगड़ी जाति का महत्व जहां मिलेगा, वहां जाएंगे- इस लाइन को कई बार बोल चुके हैं आनंद मोहन।
– फोटो : अमर उजाला

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पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित हो गईं। इसके बाद अब बड़ा चुनाव लोकसभा का ही होगा। बिहार में इसी की तैयारी चल रही है। वन नेशन, वन इलेक्शन के हल्ले के कारण बिहार विधानसभा चुनाव की भी तैयारी साथ-साथ शुरू हो गई है। बिहार की जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट बाकी राज्यों में प्रभाव दिखा रही है तो बिहार के अंदर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इसके प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है। फिलहाल जातीय जनगणना के आंकड़ों पर अविश्वास को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहां आपत्तियों को समझने की बात कही थी, वहां मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बीमारी से लौटने के बाद दो टूक कह दिया कि इसकी समीक्षा की जरूरत नहीं है। तो, अब यह मान लेना मजबूरी ही है कि आंकड़ा नहीं बदलेगा। तो, क्या इस दो टूक के बाद बाहुबली आनंद मोहन सिंह अब कोई निर्णय लेंगे? आनंद मोहन फिलहाल राजस्थान में राजपूत करणी सेना के आयोजनों में व्यस्त हैं। ऐसे में उनके लिए क्या संभावना और क्या आशंका है, यह समझना भी जरूरी है।

नीतीश ने दिलाई मुक्ति, तो क्या एहसान जताएंगे

बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल में थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजपूतों के एक कार्यक्रम में उनकी रिहाई को लेकर उठे सवाल पर कहा था कि हम क्या कर रहे हैं, यह उनके (आनंद मोहन) परिवारजन से पूछिए। उसके कुछ दिनों बाद आनंद मोहन रिहा हो गए। कुछ नियम-प्रावधानों में फेरबदल कर सरकार ने उनकी रिहाई सुनिश्चित की। दलित जाति के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या में दोषसिद्ध होकर वह सजा काट रहे थे। कृष्णैया की पत्नी इस रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हैं। इधर, रिहाई के बाद मई में ही आनंद मोहन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर एहसान जता दिया था। इसके बाद आनंद मोहन अब अक्टूबर में मिले तो हल्ला उड़ा कि वह जदयू जाएंगे। दरअसल, ठाकुर का कुआं विवाद में राष्ट्रीय जनता दल पर हमलावर होकर उन्होंने वह रास्ता तो बंद कर लिया। भाजपा पर तो लगातार हमला बोलते रहे हैं, इसलिए वह रास्ता बंद माना जा रहा है। लेकिन, क्या फिर अंतिम रास्ता जदयू ही है? जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से ‘अमर उजाला’ ने पूछा तो उन्होंने इस इंट्री की जानकारी से इनकार किया। आनंद मोहन को करीब से जानने वाले भी इनकार कर रहे। कह कि आनंद मोहन अंतिम समय में कुछ फाइनल करेंगे। अभी जदयू में जाएंगे तो राजपूत नाराज हो जाएंगे। वह राजपूत राजनीति से ही उभरे थे और फिलहाल राजस्थान चुनाव की घोषणा से पहले वहां राजपूतों के मंचों से ही गरज रहे थे।

 



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