Cyclone Biparjoy
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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देश में हर साल कोई न कोई प्राकृतिक आपदा दस्तक देती रहती है। ‘गाजा’ और ‘बुलबुल से लेकर ‘बिपरजॉय’ तक कई सारे चक्रवाती तूफानों ने भारी तबाही मचाई है। इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं, सरकारी खजाने पर भारी पड़ रही हैं। अगर तीन वर्ष की बात करें तो केंद्र और राज्य सरकारें, ऐसी आपदाओं के दौरान राहत एवं बचाव कार्य पर 140478.16 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि खर्च कर चुकी हैं। अब 13 जून से 15 जून तक ‘बिपरजॉय’ चक्रवाती तूफान की चेतावनी जारी की गई है। किसी भी आपात स्थिति के लिए तटरक्षक बल, सेना और नौसेना के बचाव और राहत दलों के साथ-साथ जहाजों एवं विमानों को स्टैंडबाय पर तैयार रखा गया है। चक्रवाती तूफान के रास्ते में आने वाले गुजरात सहित दूसरे राज्यों में सहायता के लिए सेना, नौसेना, वायु सेना और तटरक्षक बल की पर्याप्त संख्या में टीमें तैनात की गई है।
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तीन साल पहले ‘गाजा’ ‘तितली’ व ‘बुलबुल’ का कहर
साल 2020 में ‘गाजा’, ‘तितली’ और ‘बुलबुल’, इन तीनों चक्रवाती तूफानों ने कई राज्यों में भारी तबाही मचाई थी। राज्य सरकारों को भारी जानमाल का नुकसान उठाना पड़ा था। चार वर्ष पहले पश्चिम बंगाल में ‘बुलबुल’ नाम के चक्रवात ने खासा नुकसान पहुंचाया था। राहत एवं बचाव कार्य के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 7317.48 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी करने की मांग की थी। 2019 में ही उड़ीसा में ‘फनी’ चक्रवाती तूफान आया था। ‘फनी’ का नुकसान इतना अधिक था कि राज्य सरकार ने केंद्र के समक्ष 5227.61 करोड़ रुपये की सहायता देने का प्रस्ताव भेज दिया। केंद्र की तरफ से एनडीआरएफ के अंतर्गत अतिरिक्त वित्तीय सहायता के रूप में 3114.46 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई।
‘ओखी’ और ‘गाजा’ की तबाही को नहीं भूल सकते
साल 2017-18 के दौरान केरल में ‘ओखी’ चक्रवात आया था। इसने राज्य में खासा नुकसान पहुंचाया। केरल सरकार ने केंद्र से 431.37 करोड़ रुपये की मांग की थी। हालांकि एनडीआरएफ की तरफ से केवल 133 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की गई। उसी साल तमिलनाडु में भी इसी चक्रवात ने तबाही मचाई थी। राज्य सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से 877.01 करोड़ रुपये की सहायता राशि मांगी। यहां भी एनडीआरएफ ने 133.05 करोड़ रुपये जारी किए थे। 2018-19 में तमिलनाडु में आए चक्रवाती तूफान ‘गाजा’ से बड़ा नुकसान पहुंचाया था। राज्य सरकार ने केंद्र से 2715.29 करोड़ रुपये देने की मांग की। नुकसान की भरपाई के तौर पर एनडीआरएफ की ओर से 900.31 करोड़ रुपये जारी किए गए। उड़ीसा में 2018-19 के दौरान आए ‘तितली’ तूफान से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने 2751.72 करोड़ रुपये की राशि मांगी थी। केंद्र की ओर से एनडीआरएफ ने 341.72 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर की थी।
केंद्रीय टीम ‘आईएमसीटी’ करती है मूल्यांकन
मध्यप्रदेश में केंद्र व राज्य, दोनों का आपदा खर्च मिलाकर लगभग 127112.73 करोड़ रुपये पहुंच गया है। महाराष्ट्र में प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए 21849.96 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पश्चिम बंगाल में 8611.54 करोड़ रुपये, राजस्थान में 9892.84 करोड़ रुपये, ओडिशा में 11743.9 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश में तीन वर्ष के दौरान 8886.9 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। केंद्र में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के मुताबिक, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति के अनुसार, जमीनी स्तर पर प्रभावित लोगों को राहत के वितरण सहित, आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है। राज्य सरकारें, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मदों और मानदंडों के अनुसार, पहले से ही उनके निपटान में रखी गई राज्य आपदा मोचन निधि ‘एसडीआरएफ’ से बाढ़ सहित प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर राहत के उपाय करती हैं। गंभीर प्रकृति की आपदा के मामले में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि ‘एनडीआरएफ’ से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। केंद्र की एक अंतर मंत्रालयी केंद्रीय टीम ‘आईएमसीटी’ संबंधित राज्य का दौरा कर नुकसान का मूल्यांकन करती है। राज्यों को एसडीआरएफ का आवंटन समय समय पर संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित क्रमिक वित्त आयोगों की सिफारिश पर आधारित है।
प्राकृतिक आपदा से राहत बचाव में खर्च राशि
2019-20 में आपदाओं से निपटने के लिए केंद्र और राज्यों ने एसडीआरएफ के तहत 13465.00 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया है। 2020-21 में यह राशि 23186.40 करोड़ रुपये जारी की गई थी। साल 2021-22 के लिए भी इस राशि का ग्राफ 23186.40 करोड़ रुपये रहा है। एसडीआरएफ के तहत आवंटन हुई राशि में 2019-20 के दौरान केंद्र का हिस्सा 10937.62 करोड़ रुपये था। 2020-21 के दौरान यह राशि 17825.63 करोड़ रुपये थी, जबकि 2021-22 में केंद्र ने एसडीआरएफ को 17747.20 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसके अलावा एनडीआरएफ निधि से सभी आपदाओं के दौरान राहत बचाव कार्य के लिए राशि प्रदान की गई है। 2019-20 में यह राशि 18530.50 करोड़ रुपये थी। 2020-21 में 8257.11 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। साल 2021-22 के लिए 7342.30 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। साल 2019-20 में एसडीआरएफ के तहत कुल 59837.8 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 2020-21 में कुल 46510.45 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 2021-22 के दौरान सभी आपदाओं में राहत बचाव कार्य के लिए 34129.91 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। 2022 में पांच दिसंबर तक प्राकृतिक आपदाओं में 1784 लोग मारे गए हैं। 26401 पशुओं की मौत हुई है। इसके अलावा 327479 मकान/झौपड़ी, प्राकृतिक आपदा में तबाह हुए हैं। साथ ही 1889582 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचा है।
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय से निपटने की तैयारी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) की बैठक में पूर्वी मध्य अरब सागर के ऊपर अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की वर्तमान स्थिति को लेकर जानकारी दी है। यह तूफान 14 तारीख की सुबह तक लगभग उत्तर की ओर बढ़ने की संभावना है। उसके बाद उत्तर पूर्व की ओर बढ़गा। सौराष्ट्र और कच्छ को पार करते हुए 15 जून की दोपहर तक इस चक्रवाती तूफान के जखाऊ बंदरगाह (गुजरात) के पास मांडवी (गुजरात) और कराची (पाकिस्तान) के बीच पाकिस्तान के तटों को पार करने की संभावना है। यह गंभीर चक्रवाती तूफान 125-135 किमी प्रति घंटे की निरंतर हवा की गति से 150 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार प्राप्त कर सकता है। गुजरात व दूसरे हिस्सों में 21,000 नावें खड़ी की जा चुकी हैं। संवेदनशील गांवों की सूची तैयार की गई है। सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के लिए साल्टपैन श्रमिकों का विवरण तैयार है। पर्याप्त आश्रय, बिजली आपूर्ति, दवा और आपातकालीन सेवाओं को तैयार रखा जा रहा है। एसडीआरएफ की 10 टीमें लगाई जा रही हैं। एनडीआरएफ ने पहले ही 12 टीमों को तैनात कर दिया है। 3 अतिरिक्त टीमों को गुजरात में तैयार रखा गया है। इसके अलावा, 15 टीमों, अरकोनम (तमिलनाडु), मुंडली (ओडिशा) और बठिंडा (पंजाब) में प्रत्येक में 5 टीमों को शॉर्ट नोटिस पर एयरलिफ्टिंग के लिए अलर्ट पर रखा गया है। तटरक्षक बल, सेना और नौसेना के बचाव और राहत दलों के साथ-साथ जहाजों और विमानों को स्टैंडबाय पर तैयार रखा गया है।