BSF: Kirti Chakra Awardee Martyred Soldier Paotinsat Guite
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
विस्तार
जम्मू कश्मीर में एक दिसंबर 2020 को पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ का प्रयास किया गया। यह कोई सामान्य घुसपैठ नहीं थी। इस घुसपैठ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों को वहां पर तैनात पाकिस्तानी चौकियों से भरपूर मदद मिली। बॉर्डर के इस पार बीएसएफ की एक छोटी सी टीम, जिसमें एक एसओ और सात अन्य रैंक वाले जवान थे। उन्हें आतंकियों की घुसपैठ के प्रत्याशित प्रवेश मार्ग पर तैनात किया गया था। इस टीम का नेतृत्व सब-इंस्पेक्टर (जीडी) पाओटिनसैट गुइटे कर रहे थे। जब फायरिंग शुरू हुई, तो मालूम पड़ा कि दहशतगर्दों को पाकिस्तानी चौकियों से मदद मिल रही है। वहां से उन्हें इसलिए कवर फायर मिल रहा था, ताकि वे भारतीय सीमा में घुसपैठ कर सकें। मतलब, बीएसएफ की टीम को दुश्मनों की डबल टीम से मुकाबला करना था। इसके बावजूद बीएसएफ के जांबाजों ने तीन आतंकियों को खत्म कर दिया। पाओटिनसैट गुइटे ने घायल होने के बावजूद आतंकियों को भागने का मौका नहीं दिया। इस मुठभेड़ में वे शहीद हो गए। उन्हें कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।
शहीद शिशुपाल सिंह व सांवलाराम विश्नोई को सम्मान
सीमा सुरक्षा बल के डीजी नितिन अग्रवाल ने बुधवार को आयोजित एक समारोह में शहीद पाओटिनसैट गुइटे की पत्नी को कीर्ति चक्र प्रदान किया। कांगो में यूएन शांति मिशन में ड्यूटी के दौरान विद्रोहियों के साथ लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सीकर के शहीद हवलदार शिशुपाल सिंह व बाड़मेर निवासी शहीद हेड कांस्टेबल सांवलाराम विश्नोई को डेग हैमरस्कॉल्ड मेडल से सम्मानित किया गया है। इनके अलावा अभय शा डीसी, जितेंद्र कुमार नागपाल डीसी, लक्ष्मण सिंह डीसी, सुभांजन मोहपात्रा डीसी, संजीव शर्मा एसी, इंस्पेक्टर अभिषेक कुमार सिंह और सिपाही पवन कुमार मरकम को असाधारण आसूचना कुशलता पदक से सम्मानित किया गया है।
हिजबुल मुजाहिदीन के तीन आतंकवादी मार गिराए
बता दें कि इस साल गणतंत्र दिवस पर बीएसएफ के सात जवानों को ‘पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री’ यानी ‘वीरता का पुलिस पदक’ सम्मान देने की घोषणा की गई थी। ये सभी जवान बीएसएफ की 59वीं बटालियन में तैनात थे। नवंबर 2020 में इन जवानों को 120 इन्फैंट्री ब्रिगेड ‘आर्मी ऑप्स कंट्रोल’ के तहत बंप कॉम्प्लेक्स ‘एलसी’ के एफडीएल हजूरा पर तैनात मिली थी। 30 नवंबर, 2020 को बीएसएफ बटालियन की इस घातक टीम, जिसमें एक एसओ और सात अन्य रैंक वाले जवान थे, को आतंकियों के प्रत्याशित प्रवेश मार्ग पर तैनात किया गया। इस टीम का नेतृत्व सब-इंस्पेक्टर (जीडी) पाओटिनसैट गुइटे कर रहे थे। आतंकियों की घुसपैठ रोकने के लिए शुरू हुई एक बड़ी कार्रवाई में पाओटिनसैट गुइटे शहीद हो गए थे। उन्होंने अपनी सूझबूझ से जानमाल के एक बड़े नुकसान को टाल दिया था। गुइटे की अतुलनीय बहादुरी पर उन्हें कीर्ति चक्र प्रदान किया गया था। उस कार्रवाई में बीएसएफ टीम ने हिजबुल मुजाहिदीन के तीन आतंकवादी मार गिराए थे।
पाकिस्तान की ओर से हुआ था घुसपैठ का प्रयास
1 दिसंबर 2020 को साढ़े आठ बजे बीएसएफ टीम अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद थी। तभी दमयकुश नाले (पाकिस्तान की तरफ) की ओर से बल की घातक टीम पर गोलीबारी की गई। चूंकि, सब-इंस्पेक्टर (जीडी) पाओटिनसैट गुइटे, उस इलाके की परिस्थिति और दुश्मन की रणनीति से भली भांति परिचित थे, उन्होंने तुरंत अपनी फौलादी प्रवृत्ति, युद्ध बहादुरी और साहस की उच्चतम भावना का प्रदर्शन करते हुए स्थिति पर नियंत्रण पाया। फायरिंग के बीच उन्होंने दोबारा से अपनी टीम को पॉजिशन लेने के लिए कहा। उबड़-खाबड़ जमीन, घनी वनस्पति और भारी खनन के बीच उन्होंने बेहतरीन समन्वय के साथ आतंकियों का मुकाबला किया। फायरिंग के दौरान, एक आतंकवादी की गोली सब-इंस्पेक्टर पाओटिनसैट गुइटे के बाएं हाथ में लगी। बुलेट प्रूफ जैकेट की पट्टी को फाड़ते हुए वह गोली दाहिने कंधे के पीछे से निकल गई। घायल होने के बावजूद, गुइटे ने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने उस आतंकवादी पर तब तक गोलीबारी की, जब तक कि वह नीचे नहीं गिर पड़ा।
पाकिस्तानी चौकियों से हुई फायरिंग
इसके बाद एसआई गुइटे की घातक पार्टी ने मोर्चा संभाला। सभी जवान, गुइटे की रणनीति पर आगे बढ़े। आतंकवादियों ने बंप परिसर में घुसकर ऑप्स लिंक को लक्षित करने की योजना बनाई थी। बीएसएफ टीम की कार्रवाई के चलते तीनों कट्टर आतंकी, अपने इरादों में कामयाब नहीं हो सके। बीएसएफ की एंबुश पार्टी के बाकी सदस्य, जिनमें कांस्टेबल बोल्लम रमनजनेयुलु, कांस्टेबल अवनीश कुमार, कांस्टेबल एमडी बकीबुल्ला हक, कांस्टेबल अवतार सिंह, कांस्टेबल अनिल यादव, कांस्टेबल अनिल शर्मा और कांस्टेबल राजू चौधरी ने आतंकवादियों को अपनी आक्रामक कार्रवाई में उलझाए रखा। इसी बीच पाकिस्तान की निकटवर्ती चौकियों, मोहरा ओपी और लेफ्ट ओपी से खुद की चौकियों यानी एफडीएल 3 बंप, एफडीएल 5 बंप और एफडीएल 7 बंप से फायरिंग शुरू कर दी गई। इसके पीछे मकसद यह था कि जो आतंकी, बीएसएफ टीम के टारगेट पर थे, उन्हें वहां से निकालने में मदद करना था। पाक चौकियों से हो रही फायरिंग का तुरंत और आक्रामक रूप से जवाब दिया गया। दुश्मन की चौकियों और आतंकवादियों द्वारा की जा रही भारी गोलीबारी के बीच, बीएसएफ टीम ने घायल सब-इंस्पेक्टर पाओटिनसैट गुइट को संकीर्ण इन्फैंट्री सेफ लेन (आईएसएल) के माध्यम से एक रिज पर स्थित एफडीएल 3 ओपी तक पहुंचाया।
बीएसएफ जवानों ने बचाई सैनिकों की जान
आतंकवादियों के साथ इस क्लोज क्वॉर्टर गन फाइट के दौरान, बीएसएफ टीम ने नियंत्रण रेखा पर अदम्य साहस, विशिष्ट वीरता और कर्तव्य के प्रति पूर्ण समर्पण का परिचय दिया था। एसआई (जीडी) पाओटिनसैट गुइटे के गतिशील नेतृत्व में एंबुश पार्टी द्वारा त्वरित प्रतिशोध के परिणामस्वरूप एचएम (हिजबुल मुजाहिदीन) के तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए। उनके नाम अबू बिलाल, नासिर जावेद और जावेद भाई थे। बीएसएफ जवानों ने अपनी कमान के तहत सैनिकों की जान बचाई। उन्होंने आतंकवादियों को भारी नुकसान पहुंचाया। इस गोलाबारी के दौरान, बीएसएफ कर्मियों ने अदम्य साहस एवं विशिष्ट वीरता का परिचय दिया। बीएसएफ टीम की विशिष्ट वीरतापूर्ण कार्रवाई और प्रतिकूल परिस्थितियों में आतंकवादी हमले को नाकाम करना, इसके लिए सिपाही अवनीश कुमार, मोहम्मद बाकिबुल्ला हक, अवतार सिंह, अनिल यादव, अनिल शर्मा, राजू चौधरी और बोल्लम रमनजनेयुलू को एचएम समूह के तीन उग्रवादियों का खात्मा करने के लिए ‘वीरता के लिए पुलिस पदक’ से सम्मानित किया गया।