BSF: जब सीमावर्ती क्षेत्र में बीएसएफ बन गई आशा की किरण, युवाओं को कोचिंग देकर दिला दी सीएपीएफ की वर्दी

BSF: जब सीमावर्ती क्षेत्र में बीएसएफ बन गई आशा की किरण, युवाओं को कोचिंग देकर दिला दी सीएपीएफ की वर्दी



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– फोटो : Amar Ujala

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सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’, अपने मूल कार्य यानी सीमा की पहरेदारी से परे भी कई तरह के सामाजिक काम कर रहा है। सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओं को कोचिंग एवं अन्य सुविधाएं प्रदान कर उन्हें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में स्थायी नौकरी दिला रही है। कोई युवा बीएसएफ में भर्ती होकर सीमा की पहरेदारी करेगा, तो कोई आईटीबीपी में हिमवीर बन, बॉर्डर की हिफाजत करने के लिए तैयार है। मिनिस्ट्रियल एवं दूसरे पदों के लिए भी युवाओं को मौका मिल रहा है। बीएसएफ की 40वीं बटालियन, सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओं के लिए आशा की किरण बन चुकी है। ये बटालियन, बल के उत्तर बंगाल फ्रंटियर के जलपाईगुड़ी सेक्टर के तहत कूचबिहार जिले के सब डिवीजन मेखलीगंज में सीमा चौकी (बीओपी) बीआरके बारी पर तैनात है।

यह बात युवाओं की समझ में आ गई

पश्चिम बंगाल में इस बटालियन ने अक्तूबर 2021 से सीमावर्ती इलाकों के युवाओं का जीवन बदलने की ठानी थी। सीमित संसाधनों के जरिए ही भर्ती-पूर्व और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। बॉर्डर के आसपास के युवाओं को बताया गया कि इस कार्यक्रम से उनका जीवन बदल सकता है। वे राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में शामिल होकर अपना योगदान दे सकते हैं। बीएसएफ की यह बात, युवाओं की समझ में आ गई। यहीं से वह क्रांतिकारी यात्रा प्रारंभ हुई। सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओं के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। उनके रूझान और शिक्षा के स्तर का पता लगाया गया। उसके बाद सीमावर्ती आबादी के उत्थान के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता जताते हुए बीएसएफ ने वहां पर भर्ती-पूर्व एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की। युवाओं को सेना, सीएपीएफ, पुलिस व दूसरे क्षेत्रों की नौकरियों के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इस व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम का नतीजा भी मिलने लगा। लिखित परीक्षा की तैयारी कराने के अलावा युवाओं को शारीरिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। बॉर्डर एरिया के युवकों एवं युवतियों को प्रशिक्षण देने के लिए बीएसएफ के समर्पित कर्मियों ने अपना अहम योगदान दिया।



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