बायजू रविंद्रन
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संकट से घिरी एडटेक स्टार्टअप बायजू के मामले में एक बड़ा खुलासा किया गया है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जब कंपनी के दफ्तरों पर छापे पड़ रहे थे उस समय फाउंडर दुबई में निवेशकों को अपनी सफाई दे रहे थे। उस दौरान माजूद रहे लोगों ने यह भी दावा किया है कि निवेशकों से बातचीत में खुद को निर्दोष करार देते हुए रविंद्रन की आंखों से आंसू छलक गए थे और वे फूट-फूट कर रोने लगे थे। बता दें कि अप्रैल महीने के अंत में सादे कपड़ों में भारतीय अधिकारियों ने बायजू के बेंगलुरु कार्यालयों पर छापा मारा, लैपटॉप जब्त किए थे। उस दौरान सार्वजनिक रूप से दुनिया के सबसे मूल्यवान एडटेक स्टार्टअप पर संभावित विदेशी मुद्रा उल्लंघन के भी आरोप लगे।
निवेशकों के सामने कंपनी का बचाव करते हुए फूट-फूट कर रो पड़े थे रविंद्रन
जिस समय बायजू के दफ्तरों पर सरकारी एजेंसी के छापे पर रहे थे उस दौरान कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बायजू रवींद्रन ने दुबई में ब्लैक कॉफी पीते हुए शीर्ष निवेशकों के फोन कॉल अटेंड कर रहे थे। बैठक में शामिल लोगों के अनुसार पश्चिम एशिया के निवेशकों की ओर से एक अरब डॉलर के इक्विटी फंड जुटाने की योजना अब भी अधर में ही लटकी हुई थी और रवींद्रन निवेशकों के सामने अपनी कंपनी का बचाव करते हुए फूट-फूटकर रो पड़े थे।
महीनों से चुनौतियों का सामना कर रही एडटेक स्टार्टअप बायजू
बायजू के संस्थापक रवींद्रन महीनों से संकट की स्थिति में हैं। भारत की वित्तीय अपराध से लड़ने वाली एजेंसी की ओर से छापे के अलावा उनका एक हाई-फ्लाइंग ट्यूटरिंग स्टार्टअप समय पर अपने वित्तीय खातों का रिटर्न फाइल करने में विफल रहा। अमेरिका स्थित कई निवेशकों ने बायजू पर आधा अरब डॉलर छिपाने के आरोप लगाए, जिसके बाद मुकदमे तक दायर किए गए। मंगलवार को कंपनी के शुरुआती निवेशकों में से एक प्रोसस एनवी ने कहा कि उसने खराब प्रशासन और निदेशकों की सलाह की उपेक्षा के कारण अपनी बोर्ड सीट छोड़ दी है।
बायजू ने निवेशकों से कहा- हमने कुछ भी गलत नहीं किया
हालांकि, बायजू और रवींद्रन ने निवेशकों से बातचीत के दौरान कुछ भी गलत करने से इनकार किया है। बता दें कि सीमित घरेलू उद्यम पूंजी के कारण बायजू जैसी कई फर्मों ने हाल के वर्षों में निवेश के लिए देश के बाहर का रुख किया है। हालांकि यह परिदृश्य पिछले साल बदल गया और स्टार्टअप फंडिंग में बड़ी गिरावट आई है। स्टार्टअप में निवेश 2023 की पहली छमाही तक चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। वैश्विक पूंजी तक आसान पहुंच के बिना, कंपनियों को अब कॉर्पोरेट प्रशासन के मामले में अधिक जांच का सामना करना पड़ रहा है, जिससे दुनिया की तकनीकी राजधानी के रूप में अमेरिका और चीन की कतार में शामिल होने की भारत की इच्छा खतरे में पड़ गई है।
बायजू के हालात नहीं सुधरे तो निवेश गंतव्य के रूप में भारत की छवि होगी धूमिल
इनक्रेड कैपिटल लिमिटेड में इनवेस्टमेंट बैंकिंग के चेयरमैन जैकब मैथ्यू के अनुसार, “अगर स्थिति पर जल्द काबू नहीं पाया गया और बायजू में चौकसी नहीं बरती गई तो इससे विदेशी फंडों के बीच निवेश गंतव्य के रूप में भारत की छवि बहुत हद तक प्रभावित होगी।” रवींद्रन ऐसे व्यक्ति हैं जो एक निजी ट्यूटर के रूप में सफर की शुरुआत कर 22 अरब डॉलर की कंपनी के लीडर बने और सिकोइया कैपिटल, ब्लैकस्टोन इंक और मार्क जुकरबर्ग की फाउंडेशन सहित कई वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया। महामारी के दौरान रवींद्रन ने भारत में एड-टेक बाजार के अधिकांश हिस्से पर अपना अधिपत्य जमा लिया।
लॉकडाउन के बाद कक्षाएं खुलीं तो बायजू की वित्तीय स्थिति बिगड़ने लगी
लेकिन जब लॉकडाउन के बाद कक्षाएं फिर से खूलीं, बायजू की वित्तीय स्थिति खराब होने लगी। इस बीच, निवेशकों ने सवाल किया कि रवींद्रन ने मुख्य वित्तीय अधिकारी की नियुक्ति में वर्षों तक देरी क्यों की और दुनिया भर में एक दर्जन से अधिक कंपनियों का अधिग्रहण तेज गति से क्यों किया। बायजू में कई कई कर्मचारी या तो छोड़कर चले गए हैं या उन्हें निकाल दिया गया है। बोर्ड के सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है। और कई शिक्षण केंद्र लगभग खाली हैं।
अलोचक बायजू के नेतृत्व पर लापरवाही से काम करने का आरोप लगा रहे
रवींद्रन के समर्थक गलत कदमों के लिए एक अनुभवहीन संस्थापक के उत्साह और भोलेपन को जिम्मेदार ठहराते हैं। वहीं आलोचकों का कहना है कि उन्होंने वित्त के बारे में जानकारी रोककर और खातों का कड़ाई से ऑडिट करने में विफल रहकर लापरवाही से काम किया। निवेशकों के सामने बातचीत में भावनात्मक रूप से टूटने की घटना पर रवींद्रन और बायजू के प्रवक्ता ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।