सेंट्रल बैंक
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अलीगढ़ में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की नौरंगाबाद शाखा में हुए घोटाले में कैशियर गीता रानी को जेल भेजने के मामले में परिवार द्वारा सवाल उठाने पर पुलिस ने जवाब दिया है। पुलिस का कहना है कि इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि महिला कैशियर ने सात से अधिक चेक को नियम विपरीत पास कर उनका भुगतान कर दिया। कुछ चेक तो बिना हस्ताक्षर के थे। इन्हीं तथ्यों के आधार पर गिरफ्तारी की गई है।
पुलिस ने कहा कि मूलरूप से गाजियाबाद के विजयनगर की गीता रानी अब तक तीन मुकदमों में आरोपी पाई गई हैं। एक मुकदमे में पीड़ित ने एक लाख रुपये की एफडी बनवाने का वाउचर भर कर दिया था, मगर रकम अन्य खाते में ट्रांसफर कर दी गई। वाउचर व डिपोजिट स्लिप दोनों अलग-अलग हैं। डिपोजिट स्लिप पर वादी के हस्ताक्षर नहीं हैं। इसमें गीता रानी मेकर हैं और चेकर पूर्व प्रबंधक अमरजीत कुमार है। ये मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
इसी तरह बलवीर सिंह द्वारा चार लाख रुपये की एफडी बनवाने के लिए वाउचर भरकर दिया गया था। उस वाउचर की रकम भी अन्य व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। इस मामले में पाया गया कि वाउचर व डिपोजिट स्लिप दोनों अलग-अलग हैं। डिपोजिट स्लिप पर वादी के हस्ताक्षर नहीं है।
इसी तरह जांच में पाया गया कि एक महिला द्वारा पांच लाख रुपये की एफडी बनवाने के लिए कहा गया था, जिसमें वादी द्वारा वाउचर फार्म नहीं भरा गया, न ही सहमति चेक अथवा डिपोजिट स्लिप दी गई है। इसके बावजूद खाते से दो-दो लाख के दो और एक लाख के एक वाउचर से अन्य व्यक्ति के खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए गए। इसमें भी गीता रानी मेकर है।
इसके अलावा चार अन्य मुकदमों में भी भूमिका संदिग्ध है। इसी आधार पर गीता रानी की गिरफ्तारी की गई है। एसपी सिटी कुलदीप सिंह गुणावत बताते हैं कि एक-एक तथ्य जानने के बाद कदम उठाया जा रहा है। गीता रानी सात मुकदमों में संदिग्ध है।