इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ
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चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद केरल के दो कॉलेज सुर्खियों में है। कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, तिरुवनंतपुरम (सीईटी) से स्नातक कई इंजीनियर चंद्रयान-3 की टीम से जुड़े हैं, जिनकी वजह से यह कॉलेज चर्चा में है। कोल्लम का थंगल कुंजू मुसलियार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (टीकेएमसीई) भी खूब चर्चा में है, क्योंकि इसरो प्रमुख एस सोमनाथ यहां के पूर्व छात्र हैं। अपने पुराने छात्रों के योगदान पर दोनों ही संस्थान खुश हैं।
सीईटी के प्रिंसिपल डॉ. सेवियर जेएस कहते हैं, चंद्रयान-3 मिशन के निदेशक एस मोहन कुमार, चंद्रयान-3 के एसोसिएट मिशन निदेशक जी नारायणन, वीएसएससी प्रोजेक्ट्स के एसोसिएट निदेशक शूजा ए, लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के एसोसिएट निदेशक सुरेश एम एस, मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के निदेशक एम मोहन, एवियोनिक्स के उप निदेशक अथुला देवी, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक ए राजराजन सभी सीईटी के 1986 बैच के छात्र हैं, जिनका चंद्रयान की सफलता में सीधा योगदान रहा है।
इसी तरह, कोल्लम स्थित टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग भी चंद्रयान-3 की सफलता से उत्साहित है, क्योंकि वर्तमान इसरो प्रमुख सोमनाथ खुद इसके पूर्व छात्र हैं। टीकेएमसीई केरल में स्थापित होने वाला पहला सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज है।
दो साल से घर नहीं गए निंगथोजम रघु सिंह
वहीं, चंद्रयान-3 की कामयाबी के लिए 500 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दिनरात एक कर दिया। इन्हीं में से एक हैं मणिपुर के निंगथोजम रघु सिंह, जो पिछले दो वर्ष से ज्यादा वक्त से घर नहीं गए हैं। सिंह कहते हैं कि घर की बहुत याद आती है, हालांकि वीडियो कॉलिंग के जरिये परिवार के लोगों को देखकर थोड़ा सुकून मिलता है, लेकिन अपने काम के चलते चाहकर भी घर नहीं जा पाया।
चंद्रयान के लैंडिंग फेज से जुड़े सिंह कहते हैं कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के अगले महत्वाकांक्षी अध्याय की शुरुआत भर है। भारत का अगला लक्ष्य जल्द ही अंतरिक्ष में मानव ले जाने की क्षमता हासिल करना है, जिसके लिए गगनयान पर काम जारी है। उन्होंने कहा, भारत जल्द ही पूरी तरह से स्वदेशी अंतरिक्ष यान के जरिये मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता हासिल करने वाला है। आईआईएस बंगलुरू से भौतिकी में स्नातकोत्तर करने वाले सिंह ने आईआईटी गुवाहटी से स्नातक किया है।