Cheetah: 22 दिन बाद चीता निरवा को वन विभाग ने पकड़ा, तलाश में लगे थे 100 से भी ज्यादा कर्मचारी

Cheetah: 22 दिन बाद चीता निरवा को वन विभाग ने पकड़ा, तलाश में लगे थे 100 से भी ज्यादा कर्मचारी



22 दिन बाद मिली चीता निरवा
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मध्यप्रदेश के कूनो में मादा दक्षिण अफ़्रीकी चीता निरवा को रविवार सुबह 10 बजे 22 दिन बाद धोरेट रेंज से पकड़ लिया गया है। 21 जुलाई को उसके कॉलर ने काम करना बंद कर दिया था और कॉलर सैटेलाइट के माध्यम से मिलने वाली लोकेशन प्राप्त होना बंद हो गई थी। उसकी खोज के लिए अधिकारी, पशुचिकित्सक और चीता ट्रैकर्स सहित 100 से अधिक फील्ड कर्मचारी दिन-रात लगे हुए थे। 

मध्य प्रदेश के पीसीसीएफ वन्यजीव और मुख्य वन्य जीवन वार्डन ने चीते को पकड़ने की पुष्टि की है। उन्होने बताया कि चीते को प्रतिदिन खोजा जा रहा था। 22 दिन बाद उसे पकड़ने में सफलता मिली है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में सभी 15 चीते (7 नर, 7 मादा और 1 मादा शावक) अब बोमा में हैं और स्वस्थ हैं। कूनो पशु चिकित्सा टीम द्वारा स्वास्थ्य मापदंडों पर लगातार निगरानी की जा रही है। 

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीकी मादा चीता निरवा की 21 जुलाई से कॉलर सैटेलाइट के माध्यम से मिलने वाली लोकेशन प्राप्त होना बंद हो गई थी। उसके बाद से ही उसकी खोज की जा रही थी। निरजा को खोजने के लिए कूनो पार्क प्रबंधन बड़े स्तर पर खोजबीन में लगा हुआ था। 11 अगस्त की शाम की निरवा की लोकेशन सैटेलाइट के माध्यम से प्राप्त हुई। तुरंत ही सर्च टीमों को प्राप्त लोकेशन पर भेजा गया। दिन में भी सैटेलाइट के माध्यम से निरवा की 12 अगस्त की ही अन्य लोकेशन भी प्राप्त हुईं। डॉग स्क्वाड और ड्रोन टीमों की सहायता से वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम ने निरवा को शाम के समय लोकेट कर लिया गया। अंधेरा होने के कारण ऑपरेशन को अगले दिन तक स्थगित कर दिया गया। ड्रोन टीमों को रात भर निरवा की लोकेशन पर निगाह रखने की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद सुबह चार बजे ऑपरेशन दोबारा प्रारंभ किया और करीब 6 घंटे के बाद निरवा को पकड़ लिया गया। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वह पूरी तरह ठीक है और उसे स्वास्थ्य परीक्षण के लिए बोमा में रखा है। 

100 से भी ज्यादा स्टाफ मेबर ने की मदद 

कूनो पार्क प्रबंधन ने निरवा की खोज के लिए 100 से भी ज्यादा संख्या में प्रबंधन स्टाफ की मदद ली। इसमें अधिकारी, कर्मचारी, वन्यप्राणी चिकित्सक तथा चीता ट्रेकर शामिल थे। पैदल सर्च पार्टियों के अलावा दो ड्रोन टीमें, एक डॉग स्क्वॉड और उपलब्ध हार्थियों की मदद से निरवा को ढूंढने का अभियान चलाया जा रहा था। 

रोज 15 से 20 वर्ग किमी में खोजबीन 

प्रबंधन की तरफ से खोजबीन में लगी टीमें रोज निरवा को ढूंढने में जुटी हुई थी। अधिकारियों के अनुसार प्रतिदिन करीब  15 से 20 वर्ग किमी क्षेत्र में खोजबीन की जा रही थी। इसके अलावा स्थानीय ग्रामीणों को निरवा के संबंध में अवगत कराकर, उनसे प्राप्त होने वाली सभी सूचनाओं को तत्काल परीक्षण एवं सत्यापन कराया जार हा था। 



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