Chhattisgarh Election
– फोटो : Amar Ujala/ Himanshu Bhatt
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छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार प्रसार शुरू हो गया है। इस बीच राज्य में जातीय जनगणना का मुद्दा जोर शोर से गूंज रहा है। इसकी वजह सबसे बड़ी वजह प्रदेश में ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति और जनजाति की तादाद है। सत्ताधारी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने-अपने वादों से इन आरक्षित वर्गों को रिझाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। सूबे की राजनीति में शुरू से ही आरक्षण का एक बड़ा मुद्दा रहा है। लेकिन बिहार से जाति जनगणना का मसला उछलने के बाद इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है।
बिहार में हुए जातीय सर्वे और उसके नतीजे के बाद दूसरे राज्यों के साथ-साथ चुनावी राज्यों में भी यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में भी यह मुद्दा जोर शोर से उठ रहा है। प्रदेश के पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की आबादी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने सत्ता में लौटने के लिए जातिगत जनगणना करने की घोषणा की है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी खुद कई चुनावी रैलियों में बोल चुके हैं कि दलित, पिछड़ा और आदिवासी को कितना प्रतिनिधित्व है, इसका पता जाति जनगणना से ही चलेगा।
राहुल गांधी की मांग के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसे उठाना शुरू कर दिया है। जबकि भाजपा इस मुद्दे पर मौन नजर आ रही है। सीएम बघेल जाति जनगणना को लेकर भाजपा पर हमला करते हुए नजर आ रहे हैं। बघेल ने कहा कि राज्य में ओबीसी 43 फीसदी से ज्यादा हैं, यह बात उनकी सरकार की ओर से कराए गए आर्थिक सर्वे में सामने आ चुकी है। इसलिए राज्य में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया है, अगर भाजपा यह नहीं मानती है तो फिर जाति जनगणना क्यों नहीं कर लेती।
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जातिगत जनगणना के अलावा राज्य में कई मुद्दे हैं। कांग्रेस सरकार ने कई काम किए हैं। कई मुद्दे पार्टी को बनाने के लिए है। बावजूद इसके कांग्रेस जाति जनगणना को बड़ा मुद्दा बना रही है। इसकी सबसे अहम वजह यह भी है कि क्योंकि छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग की तादाद बहुत ज्यादा है और इस वर्ग के सहारे ही आसानी से सत्ता तक पहुंच सकती है। वहीं, राज्य में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो वह शुरू से ही ओबीसी आरक्षण देने की वकालत करती आई। जब यह मामला राज्यपाल के पास भी और कोर्ट भी पहुंचा।
कांग्रेस के दांव पर भाजपा ने उठाया ये कदम
कांग्रेस पार्टी के इस दांव पर भाजपा बहुत सोच समझकर निर्णय ले रही है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए अब तक जिन उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें सामान्य सीटों पर बड़ी तादाद में ओबीसी वर्ग के लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है। जिन 85 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए गए हैं, उनमें से अनारक्षित सीटों पर 29 स्थान पर पिछड़े वर्ग के लोगों को मैदान में उतारा है।