जो बाइडन और शी जिनपिंग
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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। जो बाइडन ने गुरुवार को कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था एक चालू बम जैसी है, जिसमें कभी भी धमाका हो सकता है। जो बाइडन ने इसकी वजह चीन की धीमी आर्थिक विकास दर को बताया। अमेरिकी राज्य यूटा में एक कार्यक्रम के दौरान बाइडन ने कहा कि ‘उनकी (चीन) कुछ समस्याएं हैं, जो उनके लिए अच्छी नहीं हैं। जब बुरे लोगों के साथ दिक्कतें आती हैं तो वह बुरे काम ही करते हैं।’
चीन की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट
जो बाइडन ने कहा कि चीन मुश्किलों में घिरा हुआ है और वह चीन को परेशान नहीं करना चाहते और उनके साथ तर्कसंगत संबंध रखना चाहते हैं। बता दें कि चीन का उपभोक्ता सेक्टर डिफलेशन (अपस्फीती) की चपेट में आ गया है। वहां फैक्ट्री गेट की कीमतें भी जुलाई से घट रही हैं। स्थिर उपभोक्ता कीमतों और मजदूरी के चलते चीन की विकास दर धीमी हो सकती है। चीन में घरेलू खर्च में कमी का असर कोरोना के बाद वहां के आर्थिक विकास पर पड़ रहा है। महमारी के शुरुआती दिनों के बाद से ही चीन को निर्यात में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है, जबकि घरेलू और वैश्विक मांग में गिरावट के कारण आयात भी कम हो गया है।
बता दें कि अपस्फीती का मतलब वस्तुओं और सेवाओं की गिरती कीमतों से है, जो घटती खपत सहित कई कारणों से हो सकती है। वस्तुओं की घटती कीमतें फायदेमंद लग सकती हैं लेकिन आमतौर पर उपभोक्ता कीमतों में और गिरावट की उम्मीद में खरीददारी को स्थगित कर देते हैं।
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चीन अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण
जो बाइडन ने बीते साल जून में भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तानाशाह कहा था। जिस पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी और बाइडन की टिप्पणी को उकसावे वाली कार्रवाई बताया था। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन हाल ही में चीन का दौरा करके लौटे हैं। दोनों देशों के संबंध कड़वाहट के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में बाइडन की ताजा टिप्पणी से भी दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ सकता है।
अमेरिका ने बंद किया चीन में रणनीतिक निवेश
अमेरिका ने चीन के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसके तहत चीन की रणनीतिक रूप से अहम कंपनियों, स्टार्टअप में अमेरिका के निवेश पर रोक लगा दी गई है। अमेरिका को आशंका है कि चीन अमेरिकी निवेश और विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। इस आदेश का प्रमुख उद्देश्य सेमीकंडक्टर, माइक्रो इलेक्टॉनिक्स, क्वांटम सूचना प्रौद्योगिकी और विशेष प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमता जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी निवेश पर रोक लगाना है।