Covid-19: 55 से अधिक देशों में कोरोना के नए वैरिएंट्स, जानिए भारत में इससे कितना खतरा, कब आएगी नई वैक्सीन?

Covid-19: 55 से अधिक देशों में कोरोना के नए वैरिएंट्स, जानिए भारत में इससे कितना खतरा, कब आएगी नई वैक्सीन?


दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट्स का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एरिस (EG. 5.1) के मामले 55 से अधिक देशों में रिपोर्ट किए जा चुके हैं। इसकी संक्रामकता दर को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ के रूप में वर्गीकृत किया है।

वैज्ञानिक कहते हैं, नए वैरिएंट्स में अतिरिक्त म्यूटेशन देखे जा रहे हैं, जो इसकी संक्रामकता को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। यही कारण है कि इनसे खतरा उन लोगों में भी बना हुआ है जो वैक्सीन और संक्रमण के माध्यम से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके हैं।

दुनिया के कई देशों में तेजी से संक्रमण के बढ़ते मामलों बीच बड़ा सवाल ये है कि इससे भारत में कितना खतरा हो सकता है? इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दोनों नए वैरिएंट्स BA.2.86 और EG.5.1 के कारण भारत में खतरा नहीं है। एरिस को भले ही भारत में पहले देखा जा चुका है लेकिन इसके कारण यहां संक्रमण बढ़ने या गंभीर रोग विकसित होने का जोखिम नहीं देखा जा रहा है। आइए नए वैरिएंट्स और इससे होने वाले खतरों के बारे में जानते हैं। 

दो नए वैरिएंट्स के बढ़ते मामले

अध्ययनकर्ता बताते हैं, BA.2.86 ओमिक्रॉन का अब तक का सबसे म्यूटेटेड वैरिएंट हो सकता है। इजराइल, डेनमार्क, यूके और यूएस में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं। वहीं EG.5.1 एरिस वैरिएंट के मामले अब तक 55 से अधिक देशों में रिपोर्ट किए जा चुके हैं जिसके कारण तेजी से संक्रामकता बढ़ने का खतरा हो सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, एरिस वैरिएंट संक्रामकता के मामले में गंभीर हो सकता है, हालांकि इसके कारण रोग की गंभीरता में कोई खास अंतर नहीं देखा गया है। वैज्ञानिक कहते हैं, ये दोनों वैरिएंट बहुत ज्यादा चिंताकारक नहीं माने जा रहे हैं।

भारतीय लोगों में इन वैरिएंट्स से कितना खतरा?

भारत में कोरोना वैरिएंट से संक्रमण की मौजूदा स्थिति काफी नियंत्रित दिख रही है। पिछले 24 घंटे में करीब 60 लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई है।  BA.2.86 वैरिएंट के कारण भारत में जोखिम अधिक नहीं है, यहां लगभग 20 महीनों से ओमिक्रॉन मौजूद है और संक्रमण की स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं है। ऐसे में ओमिक्रॉन के ही ये नए वैरिएंट्स कोई गंभीर खतरा पैदा करेंगे ऐसी आशंका कम ही है।

इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित भी रह चुके हैं ऐसे में उनमें इन वैरिएंट्स से रोग का खतरा बढ़ने की आशंका भी कम ही है।

नए वैरिएंट्स को लक्षित करने वाले टीकों की तैयारी

दुनियाभर में नए वैरिएंट्स के बढ़ते खतरों को देखते हुए इसे लक्षित करने वाले नए टीकों के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) विशेषज्ञों के मुताबिक नए टीके सितंबर के अंत तक उपलब्ध होने की संभावना है। अभी इन्हें एफडीए से प्रमाणिकता मिलना शेष है।

कोरोना का आखिरी टीका लगे हुए ज्यादातर लोगों में 6-8 महीने का समय बीत चुके हैं, जिसके कारण शरीर की प्रतिरक्षा कमजोर हो सकती है।

विशेषज्ञ बोले- ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगस्त 2023 से दुनियाभर में हम जो देख रहे हैं, वह फिर से अलार्मिंग हैं। मामलों में अभी बहुत छोटी संख्या (10% की वृद्धि) में ही वृद्धि है, इसको लेकर बहुत चिंता की आवश्यकता नहीं है। ज्यादातर रोगी आसानी से ठीक हो जा रहे हैं, ऑक्सीजन की कमी या फिर वेंटिलेटर की जरूरत किसी को नहीं हो रही है, फिर भी सभी लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाव के उपाय करते रहना बहुत आवश्यक है। बढ़ता संक्रमण नए वैरिएंट्स को भी बढ़ाने वाला हो सकता है। 

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।



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