बिपरजॉय तूफान का असर राजस्थान में गुरुवार देर शाम से ही दिखना शुरू हो गया था। शुक्रवार सुबह से ही प्रदेश के बाड़मेर और जालोर जिले में तेज हवा के साथ बारिश का दौर शुरू हो गया। आशंका जताई जा रही थी तूफान के कारण प्रदेश के कुछ जिलों में 150 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चल सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हवा की रफ्तार 40 किमी के करीब रही।
बिपरजॉय तूफान से निपटने के लिए लोगों और प्रशासन ने तमाम तरह की तैयारियां कर रखी थीं। लोगों ने गाड़ियां, पशु और खेतों में पड़ी मशीनों को तूफान से बचाने के लिए रस्सियों से बांध कर रखा है। तूफान को देखते हुए शहर की सभी दुकानें बंद रहीं, साथ ही मंदिरों के पट भी पूरी तरह से बंद रहे।
बिपरजॉय तूफान के कारण बाड़मेर में मूसलाधार बारिश हुई, जिसके चलते कलेक्ट्रेट के पास स्थित विवेकानंद सर्किल पर पानी भर गया है।
डूंगरपुर में एक आदिवासी परिवार ने अपनी भेड़-बकरियों को आंधी तूफान से बचाने के लिए घर में बने एक कमरे में बांध दिया।
बिपरजॉय तूफान के असर से टीन-टप्परों के उड़ने का खतरा अधिक था। इस खतरे से निपटने के लिए जैसलमेर जिले के एक गांव में ग्रामीण ने अपनी थ्रेशर मशीन और टीन को रस्सियों और तार से बांधा दिया।
तूफान से अपनी कीमती चीजों को बचाने के लिए लोग कई कई तरह की जुगाड़ भी लगाई। बाड़मेर में एक ग्रामीण में अपनी बाइक को पेड़ से बांध दिया ताकि तेज हवा में वह उड़ ना जाए।
शहर में तूफान के कारण ग्रामीणा इलाके में बिजली ट्रांसफार्मर और पोल गिर गया, जिससे इलाके की लाइट चली गई। श्हर भर में इस तरह की काफी घटनाएं हुई हैं।
इसी तरह शहर में कई इलाकों में पेड़ गिरने की भी घटनाएं सामने आई हैं। कई विशाल पेड़ तेज हवा में धराशाई हो गए। गनीमत ये रही कि किसी तरह की जनहानि की अब तक कोई घटना सामने नहीं आई है।
जालोर के सांचौर के हालीवाव गांव में एक कार्यक्रम चल रहा था। टेंट लगा हुआ था और लोग खाना खा रहे थे। इसी बीच तेज हवा के कारण टेंट उड़ गया और लोग उसे संभालने में जुट गए, लेकिन इस दौरान खाना खा रहा एक व्यक्ति आराम से भोजन का आनंद लेते हुए नजर आया।
बाड़मेर में निचली बस्तियों से निकाले गए लोगों को प्रशासन ने स्कूलों में शिफ्ट किया गया है। यहां लोगों को रहने और खाने की उचित व्यवस्था भी की गई है। हालात सामान्य नहीं होने तक ये लाेग इन्हीं स्कूलों में रहेंगे।
बाड़मेर में केकड़ में तेज हवा के कारण बीच सड़ पर गिरा बिजली का पोल। वहीं दूसरी तरह सीमेंट की चादर वाली कच्ची छत भी तूफान में टूटकर जमीन पर आ गिरी।
आपदा की स्थिति में यहां करें कॉल…