नेशनल डॉक्टर्स डे
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अलीगढ़ शहर में कई ऐसे डॉक्टर हुए हैं, जिन्होंने अपनी पहचान के दम पर देश-दुनिया में नाम कमाया। राष्ट्रपति की मानद चिकित्सक टीम तक में शामिल रहे हैं। जेएन मेडिकल कॉलेज से निकले कई डॉक्टर आज भी नाम कमा रहे हैं। डॉक्टर डे पर इनका जिक्र जरूरी है।
पद्मश्री डॉ. मोहनलाल
राष्ट्रपति के मानद चिकित्सकों में शामिल रहे पद्मश्री डॉ. मोहनलाल अग्रवाल ने 1928 में गांधी आई हॉस्पिटल ट्रस्ट की स्थापना की। उसके बाद अलीगढ़ नेत्र चिकित्सालय का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां दूर-दूर से लोग उपचार कराने के लिए आते थे। यह बात उस समय की है जब एमएओ कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बने हुए कुछ ही समय हुआ था। जेएन मेडिकल कॉलेज की स्थापना नहीं हुई थी। अपने समय के विख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहनलाल को 1956 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 1962 में उनकी मृत्यु हुई। अलीगढ़ में लोग श्रद्धा से याद करते हैं।
डॉ. जेएम पहवा
राष्ट्रपति के मानद चिकित्सकों में शामिल अपने समय के विख्यात चिकित्सक डॉ. जेएम पहवा ने गांधी आई हॉस्पिटल की ख्याति को दूर-दूर तक पहुंचाया। नेपाल एवं बंग्लादेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न प्रांतों से लोग यहां उपचार के लिए आते थे। डॉ. पहवा यहां 1974 से 1992 तक रहे। नेत्र चिकित्सा में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था। डॉ. पहवा विख्यात नेत्र चिकित्सक थे। उनकी ख्याति देश की सीमा से बाहर तक पहुंची और लोग यहां उपचार कराने आते थे। बिहार, महाराष्ट्र से लेकर बंग्लादेश तक में हॉस्पिटल के कैंप लगते थे और मरीजों का उपचार किया जाता था।
डॉ. हीरालाल
जेएन मेडिकल कॉलेज के पहले बैच के पास आउट गांधी आई हॉस्पिटल के पांच बार सीएमओ रहे डॉ. हीरालाल गुप्ता की पिछले दिनों कोविड से मौत हो गई। अंतिम समय में वह हॉस्पिटल में वरिष्ठ परामर्श दाता थे। अपने जीवन काल में हॉस्पिटल में 50 वर्ष सेवा दी है। गांधी आई हॉस्पिटल के सचिव मधुप लहरी बताते हैं कि डॉ. हीरालाल गुप्ता शानदार चिकित्सक थे। अलीगढ़ और आसपास के करीब 25 जनपद से मरीज उनसे उपचार कराने आते थे।
अलीगढ़ ने दिए ये अशोक सेठ-जमाल सहित कई बड़े नाम
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जेएन मेडिकल कॉलेज ने देश को एक से बढक़र एक चिकित्सक दिए हैं। विख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. अशोक सेठ 1978 में यहीं के छात्र रहे हैं। इनके अलावा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई चिकित्सक दिए हैं। डॉ. कुलभूषण अत्री मशहूर आर्थोपेडिक सर्जन हैं। पद्मश्री डॉ. मेंहदी हसन एनाटॉमी में विख्यात थे। एएमयू के पूर्व वीसी प्रो. तारिक मंसूर सर्जन हैं। वह मेडिसन संकाय के पहले प्रोफेसर हैं, जो वीसी के पद पर पहुंचे। इसके अतिरिक्त डॉ. ओपी कालरा, पद्मश्री प्रो. मंसूर हसन, डॉ. फरहा उस्मानी, डॉ. प्रेमनारायण सक्सेना, डॉ.जमाल आदि का नाम अलग-अलग क्षेत्रों में सम्मान के साथ लिया जाता है। एएमयू के छात्र विदेशों में भी चिकित्सा के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद डा.जमाल तो केला नगर पर अपना क्लीनिक चला रहे हैं और चिकित्सा क्षेत्र में डॉक्टर उनको सम्मान से देखते हैं।
प्रख्यात सर्जन एमएलसी डॉ. तारिक मंसूर ने दी बधाई
डॉक्टर्स डे के अवसर पर प्रख्यात सर्जन व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एमएलसी प्रोफेसर तारिक मंसूर ने उन सभी चिकित्सकों को बधाई दी है जो सिद्धांत के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वे खुद सर्जन होने के साथ-साथ जेएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल भी रहे हैं। प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि हाल ही में कोविड के दौर में देश दुनिया में डॉक्टरों ने जो किया उसे भुलाया नहीं जा सकता। अपनी जान खतरे में डाल सेवाएं दी हैं। वे कहते हैं कि हमारा पेशा बेहद सम्मान का पेशा रहा है। डॉक्टर डे पर डॉक्टरों से यही अपील है कि इस सिद्धांत, सम्मान को बनाए रखते हुए इसी तरह आगे काम करते रहें।