Dushyant Kumar: जिगर का साथ मिला तो कवि दुष्यंत की गजलों पर आई थी रवानी, 1957 में मुरादाबाद से किया था बीएड

Dushyant Kumar: जिगर का साथ मिला तो कवि दुष्यंत की गजलों पर आई थी रवानी, 1957 में मुरादाबाद से किया था बीएड



कवि दुष्यंत कुमार
– फोटो : Social Media

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हिंदी गजल को नए आयाम पर ले जाने वाले कवि दुष्यंत कुमार का मुरादाबाद से गहरा नाता रहा है। तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं जैसी पंक्तियां कहने वाले इस महान कवि की यादें मुरादाबाद के चौमुखा पुल इलाके में आज भी जीवंत हैं। दुष्यंत ने यहां रेती मोहल्ले में अपने मामा के यहां रहकर हिंदू कॉलेज से बीएड (उस समय बीटी) किया था।



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