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विधि आयोग ने ई-एफआईआर को लेकर भारत सरकार के सामने कई प्रस्ताव पेश किए हैं। आयोग ने सरकार से सिफारिश की कि जिन संज्ञेय अपराधों में आरोपी अज्ञात है, उनमें ई-एफआईआर की अनुमति दी जाए तो वहीं जिन संज्ञेय अपराधों में आरोपी ज्ञात है, उनमें तीन साल तक की जेल की सजा बढ़ाई जानी चाहिए। बता दें, विधि आयोग ने बुधवार को सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया।
यह है पूरा मामला
आयोग ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रस्ताव दिया कि ई-एफआईआर दर्ज कराने वाले व्यक्ति द्वारा ई-सत्यापित किया जाए, जिससे सुविधाओं का दुरुपयोग न हो सके। प्रस्ताव में कहा गया कि फर्जी ई-एफआईआर कराने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्हें जुर्माना और न्यूनतम कारावास की सजा दी जानी चाहिए। इसके लिए भारतीय दंड सहिंता में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखा था। पत्र में जस्टिस अव्स्थी ने कहा कि तकनीक के विकास के कारण संचार साधनों में प्रगति हुई है। इसी वजह से एफआईआर की पुरानी व्यवस्था अपनाए रखना एफआईआर के लिए अच्छा संकेत नहीं है। आयोग का कहना है कि आम आदमी को कानूनी दाव-पेंचों की जानकारी नहीं होती।
तीन नए कानूनी बिल होंगे पेश
मानसून सत्र के दौरान, गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम (ईए) को हटाने के लिए तीन नए बिल पेश किया था। शाह ने संसद में कहा था कि ब्रिटिश कालीन कानूनों की जगह अब भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक अमल में लाए जाएंगे।