यूके में हाल में बढ़े कोरोना संक्रमण के मामलों के लिए
नए वैरिएंट एरिस (EG.5.1) को प्रमुख कारण माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है। इस नए वैरिएंट की प्रकृति को समझने के लिए अध्ययन जारी है, फिलहाल इसे गंभीर रोगकारक नहीं माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि
भारत में भी इस वैरिएंट के मामले देखे जा चुके हैं, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अलर्ट रहने की सलाह देते हैं। क्या वास्तव में यह वैरिएंट बड़े खतरे का कारण बन सकता है? मौजूदा संदर्भ को देखते हुए यह बड़ा प्रश्न बना हुआ है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, नए वैरिएंट की प्रकृति गंभीर रोगकारक नहीं है, हालांकि इसमें कुछ अतिरिक्त म्यूटेशन जरूर देखे गए है, जिसके कारण इसकी संक्रामकता को लेकर चिंता जताई जा रही है। प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि यह तेजी से लोगों में संक्रमण बढ़ाने का कारण हो सकता है।
यह ओमिक्रॉन वैरिएंट का ही एक उप-प्रकार है, ऐसे में इसके कारण गंभीर रोग और अस्पताल में भर्ती होने की आशंका कम है। आइए जानते हैं कि भारत में इसको लेकर किस प्रकार का जोखिम है?