सांकेतिक फोटो
– फोटो : संवाद
विस्तार
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में पंजीकृत 15 व्यापारियों की काली कमाई पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजर है। इसमें सराफा से जुड़े नौ और शहर में कानपुर से पान मसाले का कारोबार करने वाले छह व्यापारी शामिल हैं। खबर है कि ये कारोबारी लेन-देन में बड़ा खेल कर अवैध तरीके से अर्जित धन को रियल इस्टेट, जमीन और कांप्लेक्स निर्माण में खपा रहे हैं। लेन-देन का रिकॉर्ड इनकी फर्म पर नहीं है। कानपुर से जुड़े पान मसाला का अवैध कारोबार करने वाले कुछ कारोबारी, शहर के बड़े कांप्लेक्स और कॉलोनियों में गोपनीय साझेदार भी हैं। जल्द ही इन पर शिकंजा कस सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, एक महीने पहले ईडी की टीम शहर में आई थी। गोपनीय तरीके से जांच कर साक्ष्य संकलन के बाद टीम लौट गई। इस दौरान शहर के प्रमुख बाजार में रुकी भी थी। हाल के दिनों में डीआरआई ने आठ से दस किलो अवैध सोना जब्त किया था। इसके अलावा 40 लाख रुपये से अधिक की नकदी जब्त की गई थी। पूछताछ में जिन फर्मों का नाम सामने आया, उनका जीएसटी में मिलान कराया गया। इसमें टर्नओवर और जब्त करने वाली कार्रवाई से तुलना की गई तो काफी अंतर मिला है।
इसे भी पढ़ें: किशोरी का अपहरण करके ले गया दिल्ली, दुष्कर्म के बाद छोड़कर फरार, धर्म परिवर्तन का भी बनाया दबाव
इसी बीच अचानक लखनऊ और कानपुर में पान मसाले वाले व्यापारियों और सराफा कारोबारियों के यहां छापा मारा गया। इसी कड़ी में जीएसटी की टीम ने पान मसाले के कारोबारी मां अंबे इंटरप्राइजेज परिसर में छापा मारा तो काली कमाई के 50 लाख रुपये मिले। इसके बाद जीएसटी की टीम को सूचना मिली कि कुछ व्यापारी बोगस फर्म या गलत नाम पर खाता खुलवाकर अवैध धंधा कर रहे हैं। इससे होने वाली कमाई को बड़ी बिल्डिंगों और बाजार के बीच कांप्लेक्स में खपा रहे हैं।
दरअसल, जीएसटी में पंजीकृत फर्में अब धन शोधन कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में आएंगी, क्योंकि अब जीएसटीएन व ईडी दोनों ही सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे।