आई फ्लू
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हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र में बारिश जनित रोग आई फ्लू तेजी से पांव पसार गया है। बच्चों से लेकर बजुर्ग तक इसकी चपेट में आ रहे हैं। बीमारी में लगने वाले चश्मों की कीमत एकाएक दुगनी-तिगनी तक हो गई है। हालात यहां तक है कि दुधमुंहे बच्चों तक को बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है।
आई फ्लू बीमारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। कस्बे में बच्चा, बूढ़ा, जवान अधिकतर आंखों पर काला चश्मा तथा जेब में आई ड्रांप लिये नजर आ रहे हैं। आई फ्लू से दुधमुंहे बच्चे तक भी नहीं बच पाए हैं। सीएचसी प्रभारी डॉ आरके वर्मा ने बताया कि सीएचसी पर आई फ्लू की दवा ड्रांप पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। गांव देहात की डिसपेंसरी वैलनेस सेंटर पर भी दवा मिल रही है। आई फ्लू बीमारी केवल तीन दिन तक रहती है, इसके बाद ठीक हो जाती है।
बीमारी को फैलने से रोकने के लिये लोग काफी संख्या में चश्में खरीद रहे हैं। इससे पचास रुपये वाले चश्मा की कीमत दौ सौ रुपये तक पहुंच गई है। लोगों में इस कदर डर है कि एक बार बीमारी में प्रयुक्त होने के बाद लोग उस चश्मे का दोबारा प्रयोग नहीं कर रहे हैं। पीड़ित विष्णु वार्ष्णेय ने कहा कि दौ सौ रुपये का चश्मा खरीदना पड़ा है। चश्मा बिक्रेता इरफान सैफी का कहना है यकायक चश्मों की मांग बढ़ने से ऊपर चश्मों के भाव बढ़ने से अधिक कीमत में बेचना पड़ रहा है।