लोलार्क कुंड स्नान 21 सितंबर को
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सात वार नौ त्योहार की नगरी काशी सावन के बाद अब भादो के त्योहार मनाएगी। कजरी तीज से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक त्योहारों की लंबी श्रृंखला है। नटवर नागर के जन्मोत्सव के साथ ही उमा महेश्वर के स्वरूप का पूजन होगा। इसके साथ ही संतान की कामना से सूर्योपासना का महापर्व लोलार्क छठ भी मनाया जाएगा।
काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि भादो मास में भगवान श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की उपासना का खास महत्व है। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा 31 अगस्त से शुरू हो चुकी है और समापन 29 सितंबर को होगा। अष्टमी और रोहिणी का संयोग नहीं बनने के कारण जन्माष्टमी का पर्व छह और सात सितंबर को मनाया जाएगा। छह सितंबर करे निशीथ व्यापिनी अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनने के कारण गृहस्थों की जन्माष्टमी रहेगी।
ललही छठ पांच सितंबर को
वहीं वैष्णव जन की जन्माष्टमी सात सितंबर को रहेगी। कुशोत्पाटिनी अमावस्या भाद्रपद कृष्ण अमावस्या के पूर्वाह्न में मनाई जाती है। मान्यता है कि धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में इस्तेमाल की जाने वाली घास यदि इस दिन एकत्रित की जाए तो वह वर्षभर तक पुण्य फलदायी होती है। वैदिक ब्राह्मण इस दिन कुश उखाड़ कर लाते हैं। जो इस वर्ष 14 सितंबर को है। पांच सितंबर को ललही छठ मनाई जाएगी।
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