First Woman Lawyer In India: महिलाओं को वकालत का अधिकार दिलाने वाली पहली महिला वकील के बारे में जानें

First Woman Lawyer In India: महिलाओं को वकालत का अधिकार दिलाने वाली पहली महिला वकील के बारे में जानें



First Woman Lawyer
– फोटो : facebook

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First Woman Lawyer In India: भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में महिलाओं की हिस्सेदारी है। वह रक्षा, कला, साहित्य और राजनीति के साथ की न्यायपालिका में भी महिलाएं शामिल हैं। काले कोट में महिलाएं अदालत में वकालत करते दिख जाएं तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी, लेकिन एक दौर ऐसा था, जब महिलाओं को कानून की प्रैक्टिस का अधिकार नहीं था। महिलाओं के वकालत करने पर प्रतिबंध था। ऐसे दौर में भी भारत की एक महिला ने कानून की पढ़ाई की और पहली महिला एडवोकेट बनीं। हालांकि एक ऐसे विषय की पढ़ाई करना, जिसका भविष्य उन दिनों महिलाओं के लिए अंधकारमय था, काफी कठिन कार्य था। उनके संघर्ष की कहानी कठिन और चुनौतीपूर्ण थी। आइए जानते हैं भारत की पहली महिला वकील के बारे में सबकुछ।

कौन थीं भारत की पहली महिला वकील? 

भारत की पहली महिला वकील का नाम कॉर्नेलिया सोराबजी है। कोर्नेलिया का जन्म 15 नवंबर 1866 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था। कोर्नेलिया का परिवार पारसी था लेकिन उन्होंने ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था।

कोर्नेलिया सोराबजी का जीवन परिचय

कार्नेलिया के पिता एक पादरी थे। उनके घर पर पढ़ने लिखने का काफी माहौल था। ईसाइयों पर पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव होने के कारण महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध नहीं था लेकिन उच्च शिक्षा तक पहुंचने का रास्ता आसान भी नहीं था। कॉर्नेलिया की शिक्षा में अहम योगदान उनकी मां भी था, क्योंकि उनकी मां फ्रैंसिना फोर्ड की परवरिश एक अंग्रेज कपल ने की थी और बचपन से ही उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई। ऐसे में फ्रैंसिना ने अपनी बेटी की पढ़ाई पर भी जोर दिया और उन्हें यूनिवर्सिटी पढ़ने भेजा।

कोर्नेलिया सोराबजी की शिक्षा

 

बॉम्बे यूनिवर्सिटी में लड़कियों को दाखिला लेने का अधिकार नहीं था, लेकिन कोर्नेलिया पहली लड़की थीं, जिन्हें यूनिवर्सिटी में पढ़ने की इजाजत मिली। इसके बाद उस विश्वविद्यालय में लड़कियों की शिक्षा का मार्ग खुला। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद कोर्नेलिया आगे की पढ़ाई के लिए लंदन जाना चाहती थीं।

ऑक्सफोर्ड के लिए मिली स्काॅलरशिप

हालांकि उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि कोर्नेलिया ऑक्सफोर्ड पढ़ने जा पाती, ऐसे में उन्होंने नेशनल इंडियन एसोसिएशन को पत्र लिखकर आगे की शिक्षा के लिए आर्थिक मदद मांगी। कोर्नेलिया के नाना नानी ब्रिटिश थे, जो प्रभावशाली अंग्रेजों को जानते थे, इस कारण उन्हें आसानी से ऑक्सफोर्ड जाने का मौका मिल गया।

कोर्नेलिया ने हासिल की वकालत की डिग्री

कोर्नेलिया सोराबजी ने ऑक्सफोर्ड के समरविल कॉलेज से सिविल लाॅ की डिग्री हासिल की और कानून की पढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। वह उस कॉलेज से टॉप करने वाली पहली भारतीय महिला थीं। स्वदेश वापसी के बाद कोर्नेलिया ने 1897 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया।

डिग्री के बाद भी नहीं बन सकीं बैरिस्टर

डिग्री और योग्यता के बाद भी कोर्नेलिया वकील नहीं बन पाईं, क्योंकि उस दौर में महिलाओं को वकालत करने का अधिकार नहीं था। लेकिन वह संघर्ष करती थीं, भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए प्रयासरत रहीं। इस कारण उनके कई दुश्मन बनें, जो उन्हें जहर देकर मारना चाहते थे।

 

हालांकि 1923 में ये कानून बदला और अगले वर्ष से ही कोर्नेलिया को कोलकाता में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस करने का मौका मिला। लेकिन वह ज्यादा समय तक ऐसा न कर सकीं, क्योंकि 1929 तक वह 58 वर्ष की हो गईं और हाईकोर्ट से रिटायरमेंट मिल गई।



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