António Guterres
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भारत ने जी20-2023 की सफल मेजबानी की, जिस वजह से भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ हो रही है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी भारत की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत ने साल भर विकास के एजेंडे पर चर्चा की। बता दें, गुटेरेस के अलावा, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा सहित अन्य नेताओं और वैश्विक मीडिया ने पीएम मोदी और भारत के कसीदे पढ़ चुके हैं।
यह बोले यूएन महासचिव
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि मैं भारतीय अध्यक्षता की सराहना करता हूं। भारत की अध्यक्षता ने दक्षिण की आवाज को एक मंच प्रदान कराया। भारत ने विकास के एजेंडे पर चर्चा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। भारत ने विकास को केंद्र में रखा। उन्होंने कहा कि निष्कर्ष वही है, जो रहा। भारत के प्रयास को रेखांकित करने की आवश्यकता है।
इस दौरान फिलीस्तीन पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि उनके आदर्शों को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं भारत में गांधी को श्रद्धांजलि देने गया था। गांधी का उदाहरण न भूलें। मुझे लगता है कि फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों को पूरी तरह से पहचानना महत्वपूर्ण है। मुझे नहीं लगता कि हिंसा से फिलिस्तीनी अपने हितों की बेहतर रक्षा कर पाएंगे।
फ्रांसिस ने भी की पीएम मोदी की तारीफ
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा है कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में जारी ‘साझेदारी’ का ‘ठोस’ साझा बयान पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी टीम के राजनयिक कौशल और निपुणता का प्रमाण है। फ्रांसिस ने शिखर सम्मेलन के शानदार नतीजे के लिए भारत सरकार और वहां के लोगों को बधाई भी दी। उन्होंने कहा- मुझे लगता है, यह प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम के कूटनीतिक कौशल व निपुणता का प्रमाण है कि वे साझेदारी का एक ठोस संयुक्त बयान जारी करने में जी-20 के सदस्य देशों को साथ रखने में सक्षम रहे। यह निश्चित रूप से हमारे लिए जरूरी था। इस घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध का जिक्र नहीं है, बल्कि वहां समग्र और स्थायी शांति स्थापित करने की बात कही गई है।
भारत के लिए महत्वपूर्ण क्षण, चीन को नुकसान
भारत-अमेरिका रणनीतिक भागीदारी मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की सफलता देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। जबकि चीन को इससे बड़ा नुकसान हुआ है। इसमें दो बातें सामने आईं, पहली-एक ही साझा घोषणापत्र आना और दूसरी कि भारत वैश्विक दक्षिण के अगुवा के रूप में उभरा है। मंच का मानना है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल न होने का निर्णय वास्तव में भारत के लिए अच्छा रहा और वे एक घोषणापत्र ला पाए।