राष्ट्रपति द्वारा आयोजित भव्य रात्रिभोज में, भारत ने दुनिया को अपनी विविध संगीत विरासत का प्रदर्शन किया। इसमें देश भर के पारंपरिक संगीत का उपयोग कि गया। इसका मुख्य आकर्षण ‘गंधर्व अतोद्यम्’ था। यह एक अनूठा संगीत मेडले था जिसमें भारत भर के संगीत वाद्ययंत्रों की एक उत्कृष्ट सिम्फनी है का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान शास्त्रीय वाद्ययंत्रों की एक टुकड़ी के साथ हिंदुस्तानी, कर्नाटक, लोक और समकालीन संगीत का प्रदर्शन किया गया।
प्लेलिस्ट में ये संगीत शामिल रहे
हिंदुस्तानी संगीत: राग दरबारी कांड और कफी- खेलत होरी
लोक संगीत: राजस्थान- केसरिया बलम, घुमार और निंबुरा निंबुरा
कैरनाटिक संगीत: राग मोहनम – स्वागतम कृष्ण
लोक संगीत: कश्मीर, सिक्किम और मेघालय – बोमरू बोमरू
हिंदुस्तानी संगीत: राग देश और एकला चलो रे
लोक संगीत: महाराष्ट्र – अबीर गुलाल (अभंग), रेशमा छे घानी (लावणी), गज़र (वारकरी)
कैरनाटिक संगीत: राग मध्यमावती – लक्ष्मी बरम्मा
लोक संगीत : गुजरात- मोरबनी और रामदेव पीर हेलो
पारंपरिक और भक्ति संगीत : पश्चिम बंगाल – भटियाली और अच्युतम केशवम (भजन)
लोक संगीत : कर्नाटक – माडू मेकाम कन्नई, कावेरी चिंदू और आद पाम्बे
भक्ति संगीत: श्री राम चंद्र कृपालु , वैष्णव जन तो और रघुपति राघव
हिंदुस्तानी, कर्नाटक और लोक संगीत : राग भैरवी- दादरा, मिले सुर मेरा तुम्हारा
विभिन्न दुर्लभ वाद्ययंत्रों का हुआ उपयोग
संगीत व्यवस्था में विभिन्न दुर्लभ वाद्ययंत्रों का उपयोग करते हुए हमारी अद्वितीय और अनूठी संगीत विरासत का प्रदर्शन किया गया। इन वाद्ययंत्रों में सुरसिंगार, मोहन वीणा, जलतरंग, जोडिया पावा, धनगली, दिलरूबा, सारंगी, कमैचा, मट्टा कोकिला वीणा, नलतरंग, तुंगबुक, पखावज, रबाब, रावणहत्था, थल दाना, रुद्र वीणा आदि शामिल हैं।